पहला विश्व युद्ध दुनिया के इतिहास में सुनहरे अक्षरों उसे लिखा जाता है क्योंकि इसने ना केवल पूरी दुनिया में अशांति फैलाई थी बल्कि इसमें कई लोगों और सैनिकों की जान गई थी। आज हम आपको प्रथम विश्वयुद्ध की कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं।
कब शुरु हुआ था ये भयंकर पहला विश्व युद्ध
कई देशों के बीच हुई इस जंग की शुरुआत 28 जुलाई, 1914 को हुई थी। ये युद्ध बहुत लंबा चला था और इसका अंत 11 नवंबर, 1918 को जर्मनी वाले गुट की हार के साथ हुआ था। इस जंग को मानव इतिहास के उन विनाशकारी युद्धों में से एक बताया जाता है जिसने दुनियाभर में बहुत बड़ी तबाही मचाई थी।
हज़ारों नहीं करोड़ों लोग मारे गए थे
ये भयंकर जंग जब खत्म हुई तो 1.7 करोड़ लोग इसमें अपनी जान गंवा चुके थे। इनमें से 1.1 करोड़ सिपाही थे और 60 लाख आम नागरिक शामिल थे। तकरीबन 2 करोड़ लोग इसमें जख्मी हुए थे। वैसे तो ये युद्ध बहुत मुश्किल था और इसके लिए किसी एक घटना को अकेले ही जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। ऐसी कई चीज़ें थीं जिन्होंने युद्ध की परिस्थिति पैदा कर दी थी।
पहला विश्व युद्ध के कारण
उस दौर में यूरोपीय देशों के बीच खुद को हथियारों से लैस करने की होड़ मची हुई थी और इस होड़ में सबसे आगे था ब्रिटेन और जर्मनी। ये दोनों देश खुद को अत्याधुनिक हथियारों से लैस करके खुद को सबसे शक्तिशाली समझने लगे और इन्हें लगा कि अब वो किसी को भी हरा सकते हैं।
19वीं सदी के दौरान यूरोप के देशों के बीच एक-दसूरे की रक्षा के लिए आपस में संधियां हुई थीं। जब ऑस्ट्रिया, हंगरी ने सर्बिया पर हमला किया जो रूस ने सर्बिया की मदद की। जर्मनी और आस्ट्रिया के खिलाफ युद्ध में फ्रांस कूद गया। जर्मनी ने फ्रांस पर हमला कर दिया। जापान भी इसमें शामिल हो गया। इस तरह सारे यूरोपीय देश दो गुंटों में बंट गए।
यूरोप के देशों की नज़र अफ्रीका और एशिया के कई हिस्सों में मौजूद कच्चे माल पर थी। ये सभी हथियारों और सेना के बल पर ज्यादा से ज्यादा इन हिस्सों को अपने कब्जे में लेना चाहते थे। इससे सभी देशों के बीच आपसी टकराव हुआ और युद्ध के आसार बन गए।
ऑस्ट्रिया-हंगरी के आर्कडयुक फ्रैंज फर्डिनेंड की हत्या कर दी। जब 28 जून, 1914 को जब फर्डिनेंड और उनकी पत्नी सराजेवो, बोस्निया गए तो सर्बियाई राष्ट्रवादी गैवरिलो प्रिंसिप ने उनकी हत्या कर दी। ऑस्ट्रिया ने इसके लिए सर्बिया को जिम्मेदार ठहराया और इसके एक महीने बाद ही 28 जुलाई, 1914 को जंग का एलान कर दिया। सर्बिया के बचाव में रूस उतरा तो जर्मनी ने रूस के खिलाफ जंग छेड़ दी थी। धीरे-धीरे इस जंग में बाकी सभी देश भी शामिल हो गए।
इस जंग के दौरान भारत पर औपनिवेशिक शासन था इसलिए भारतीय सैनिको को भी इस युद्ध में शामिल होना पड़ा था। भारत ने युद्ध के प्रयासों में जनशक्ति और सामग्री दोनों रूप से भरपूर योगदान दिया था।
पहला विश्व युद्ध – भारतीय सैनिक फ्रांस, बेल्जियम, अदन की खाड़ी, अरब, पूर्वी अफ्रीका, गाली पोली, मिस्र, मेसोपोटामिया, फिलिस्तीन, पर्शिया और सालोनिका में पूरी जांबाजी के साथ युद्ध किया।