माँ से करीब इस दुनिया में कोई नहीं हो सकता।
प्रकृति ने माँ की कोख से बच्चेओ जन्म देने की रचना रची।
पहली बार बच्चे को सीने से लगाने के बाद ही बच्चा स्पर्श समझ पाता है। माँ से बढ़कर बच्चे के लिए कोई नहीं होता लेकिन कई बार भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक कारणों के बच्चे अपनी माँ से ही दूर होते चले जाते हैं।
ऐसा खासतौर पर बेटियों के साथ ज्यादा देखा गया है। अगर आपके साथ भी ऐसा है तो इन बातों को नज़रअंदाज़ न करें
चलिए जानते है एक बेटी अपनी ही माँ से दूरियाँ क्यों बना लेती है –
अपनी ही माँ से दूरियाँ –
1 – उम्र के पहले ज़िम्मेदारियों का एहसास करवाना
अब तुम बड़ी हो रही हो तुम्हें घर के काम सीखने चहिये।
ये वाक्य लगभग हर बड़ी हो रही बेटी को माँ दस साल की उम्र तक बोलने लगती है। दस साल की नन्ही बच्ची के मन पर क्या बीतती है उसे बयां नहीं किया जा सकता। ये बात तब ज्यादा लागू हो जाती है जब बच्ची के छोटे भाई बहन हों क्योंकि इसके बाद हर मौके पर बार बार माँ ये एहसास करवाती है की तुम बड़ी हो इसलिए छोटों का मन रखने के लिए उसकी बात मन लो। बेटी माँ से कुछ कह नहीं पाती पर यहीं से उसके मन में हीन भावना और कुंठाएं विकसित होनी शुरू हो जाती है और माँ से दूरियां भी।
2 – हर बात पर रोकटोक करना
यहाँ ये सामान क्यों रख दिया। तौलिया धुप में क्यों नहीं डाली ।
कहाँ जा रही हो। क्यों जा रही हो। किसके साथ जा रही हो। किसका फ़ोन आया है। इतनी देर तक किससे बात कर रही हो। खाने के बाद प्लेट सिंक में क्यों नहीं रखी। सुनने में ये शायद बहुत छोटी बातें हैं पर इन्ही छोटी बातों का बेटियों के मन पर कितना गहरा असर पड़ता है इसका अंदाज़ा लगा पाना भी बहुत मुश्किल है क्योंकि संस्कारों में पलने वाली बेटी अपने मन की बात भी किसी को नहीं बता पाती । हर बात पर टोकने से वो डर के कारण अपनी बातें अपनी ही माँ से छिपाने लगती है।
3 – बच्चे पर विश्वास न करना
माँ का बच्चे पर विश्वास न करना भी एक बहुत बड़ा कारण है जिससे बच्ची अपनी माँ से ही कटने लगती है।
उसे ये महसूस होने लगता है की जब माँ को मुझपर विश्वास है ही नहीं तो उनको कुछ बताना या ना बताना सब बराबर ही है। इस कारण भावनात्मक जुड़ाव अपने आप कम होने लगता है। इस तरह के बच्चे जिन्हें माँ से वो प्यार नहीं मिल पाता वो बहार प्यार की तलाश में रहते हैं। मनोचिकित्सकों की मानें बच्चे बहुत भावुक होते हैं और जिससे उन्हें प्यार मिलता है वो उसी की तरफ मुड़ते चले जाते हैं।
4 – हर बात पर सिर्फ कमियां निकलना, तारीफ न करना
बच्चों को सिर्फ प्यार और अच्छे व्यव्हार की चाहत होती है लेकिन अक्सर ये देखा गया है की कई माँ अपने बच्चे में सिर्फ कमियां निकालती हैं । दोस्त हों या रिश्तेदार, पडोसी हों या टीचर, माँ किसी के भी सामने बच्चे को नीचे दिखाने का एक मौका नहीं छोड़ती।
बच्चों में इस कारण हींन भावना आती चली जाती है और बच्चा माँ से दूरियां बनाने लगता है।
5 – कभी प्यार से बात न करना, प्यार ज़ाहिर न करना
दो चार पप्पी और प्यार भरी झप्पी की कमी हो तो कोई भी बेटी अपनी माँ से ज्यादा दोस्तों की माँ को पसंद करने लगती है। माँ का स्पर्श कभी कभी बिना किसी कारण के गले लगाना, माथे को चूम लेना ये ज़ाहिर करता है कि माँ बेटी को कितना प्यार करती है। जहाँ स्पर्श का आभाव होता हो वहां वहां बच्चे भी माँ से भावनात्मक रूप से जुड़ नहीं पाते।
इन कारणों से अपनी ही माँ से दूरियाँ बना लेती है बेटियां – अगर आप भी एक माँ है और आपके अंदर भी यही आदतें हैं तो फ़ौरन उसे बदल डालिये। लड़कियां यूँ भी लड़कों की अपेक्षा ज़्यादा इमोशनल और नाज़ुक होती हैं, उनकी कोमल मन पर आपके इस व्यव्हार का गलत असर पड़ता है। इसलिए बेटी को दुत्कारिये नहीं उसे दुलारिये ताकि वो जीवन भर आपसे जुडी रहे और अपनी ही माँ से दूरियाँ ना बना ले !
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