रिश्ते हमारे जीवन की एक बहुत ही मज़बूत बुनियाद होते हैं.
यह कहना गलत नहीं होगा कि रिश्ते हमारे व्यक्तित्व निर्माण में बहुत ही अहम भूमिका निभाते हैं. एक माँ से उसके बच्चे का रिश्ता या एक पिता का उसके बेटे से रिश्ता, ज़िंदगी में बहुत महत्व रखता है.
ऐसा ही एक रिश्ता होता है दो बहनो का. एक बड़ी बहन किसी भी छोटे भाई या बहन के लिये अपनी माँ की परछाई समान होती है. उसमे भी अपनी छोटी बहन के प्रति ममता और दुलार का भाव होता है. हम भले ही कितना ही लड़ ले पर वो प्यार कभी छुपाये नहीं छुपता.
जब बहुत सी चीज़ें ऐसी होती हैं जो हम अपने माता पिता को नहीं बता सकते, तो एक बड़ी बेहेन ही है जो आपकी हर दिक्कतों में आपका साथ देने से पीछे नहीं हटती है.
साथ घूमना, एक ही कमरे में साथ रहना, हर छोटी बड़ी बातों पर रूठना और मनाना, इन्ही सारी चीज़ों से मिलकर हमारे बचपन की यादें बनी हैं.
वो दीदी ही तो थी जिसने हमें माँ की डांट से न जाने कितनी बार बचाया होगा. स्कूल के किसी भी प्रॉजेक्ट में हाथ बताना जैसे एक नियम था.
हर छोटी-छोटी बात पर लड़ना और फिर रूठना-मनाना जैसे एक रिवाज़ होता है जो दो बेहनो से कभी कोई नहीं छिन सकता. एक वक़्त वो भी आता है जब छोटी बहन, बड़ी बहन को कंधा देती है ताकी वो मिलकर उस मुसीबत का सामना कर सके. दो बहनो की सबसे मुश्किल घड़ी आती है जब दोनो के जुदा होने का वक़्त आता है. बिदाई का वक़्त ऐसा वक़्त होता है जब पुरानी सारी यादें जैसे आँखों के सामने आती है और तब हमें इस सुन्दर रिश्ते की अहमियत का एहसास होता है.
हम जब इस दुनिया मे आते हैं तो भगवान कुछ रिश्ते हमारे लिये बना के भेजते हैं, उनका निभाना हमारे उपर छोड़ देते हैं. उम्मीद है कि आप इस रिश्ते को ताउम्र सहेज कर रखें.
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