राजकुमारी सूरी रत्ना – भगवान श्री राम का जन्म स्थान अयोध्या दुनिया भर में प्रचलित है.
राम जन्मभूमि के रुप में हीं लोग अयोध्या को जानते हैं. लेकिन इस दुनिया में कोरिया ऐसा देश है जो अपना रिश्ता अयोध्या नगरी से जोड़ते हैं. और रिश्ता भी ऐसा जो जन्म जन्मांतर का है. इसे निभाने की खातिर इस देश के लोग हमेशा अयोध्या आते रहते हैं.
कोरिया में रहने वाले किम वंश के लोग भारत की अयोध्या नगरी में हर साल आते हैं. क्योंकि कोरिया के लोग अयोध्या को अपना ननिहाल मानते हैं. इसके पीछे वजह ये है कि कोरिया की रानी का मायका इस अयोध्या नगरी में है. भले ही आपने इतिहास में इसके बारे में ना पढ़ा हो लेकिन अगर आप कोरिया के गिमहे शहर में जाएंगे तो वहां के हर व्यक्ति के जुबान से ये कहानी आपको सुनने को मिल जाएगी.
दरअसल कोरिया की रानी थी हॉ हांक-ओके जिनके बारे में एक कोरियन ग्रंथ में जो कि 13 वीं सदी में लिखा गया ग्रंथ है सम्यूक यूसा से इस बात का पता चला. इसी ग्रंथ में बताया गया है कि अयोता नामक स्थान से आई हुई एक राजकुमारी की शादी काया राज्य के राजा जिनका नाम सुरो था उनसे हुई थी. सम्यूक यूसा ग्रंथ के अनुसार अयोता मतलब अयोध्या और वो राजकुमारी अयोध्या की थी. जिनकी शादी 48 ईसवी में किम सूरो नाम के राजा से हुई थी.
ये कहानी अब सिर्फ कोरिया तक ही सीमित नहीं है बल्कि भारत में भी ये रिश्ता दिखने लग गया है. बता दें कि कोरिया सरकार ने अयोध्या नगरी में रानी हॉ हॉक-ओके का स्मारक भी बनवाया है. और इसे बृहद रूप देने की भी योजना की जा रही है.
चलिए जानते हैं रानी के बारे में विस्तार से.
* अयोध्या नगरी की राजकुमारी सूरी रत्ना थी. एक बार की बात है जब राजकुमारी सूरी रत्ना एक जहाज पर सवार होकर कोरिया रवाना हो गई. क्योंकि कहते हैं कि राजकुमारी सूरी रत्ना के माता-“पिता को ईश्वर ने स्वप्न देकर ये आदेश किया था कि राजकुमारी की शादी काया राज्य के राजा किम सूरो से ही होगी. जिसके बाद राजकुमारी के माता-पिता ने अपनी बेटी को कुछ सेवक-सेविकाओं और अंगरक्षकों के साथ काया राज्य भेज दिया.
* इधर किम सूरो के राजा बनने के पीछे की कहानी भी काफी दिलचस्प है. कहते हैं कि राजा किम सूरो का जन्म देव लोक से आए हुए 6 सोने के अंडे से हुआ था. और वे राजकुमारी के आने का इंतजार लंबे समय से कर रहे थे. जब यहां उनसे विवाह करने के लिए कोई कहता तो राजा सूरो कहते कि उनका रिश्ता स्वर्ग से ही तय हो चुका है. वो अपनी राजकुमारी के आने का इंतजार कर रहे हैं.
* इधर जब रानी काया राज्य की सीमा पहुंची तब राजा के सैनिक राजकुमारी सूरी रत्ना को राजा किम सूरो के पास लेकर गए. यहां पहुंचने के बाद रानी के साथ राजा का विवाह धूम-धाम से हो गया. इसके बाद कोरिया की रानी का नाम हॉ हॉन्क ओके रखा गया.
* इन्हें 12 संताने हुई जिनमें सबसे बड़े बेटे को राज्य की जिम्मेदारी सौंपी गई. इनके दो बेटों को हॉ उपनाम से प्रसिद्धि मिली. लेकिन इनकी 8 संतानों ने बौद्ध धर्म को अपना लिया. गिमहे कि समुदाय वाले लोग अपने आप को आज भी एक हीं परिवार के सदस्य और रानी हॉ के वंशज समझते हैं. इस वजह से पूरे कोरिया देश में ये परंपरा बनी हुई है कि गिमहे किम समुदाय के जितने भी लोग हैंं वे आपस में शादी नहीं कर सकते क्योंकि उनका मानना है कि वे सब रानी मां के संतान हैंं.
* ये भी कहा जाता है कि जब रानी हॉ कोरिया आई थी तो वे अपने साथ चाय लेकर आईं थीं. उसके बाद ही कोरिया के लोगों ने चाय के स्वाद को चखा था. इस वजह से रानी को टी पर्सन ऑफ कोरिया के नाम से भी जाना जाता है.
* कोरिया के गिमहे शहर में रानी की याद में उनका स्मारक भी बनवाया गया है. लोगों के मन में रानी के लिए काफी श्रद्धा है. ये एक बड़ा पर्यटन स्थल भी है.
* कोरिया देश में गिमहे किम वंश के लगभग 60 लाख से अधिक लोग रहते हैं. और ये सभी लोग रानी को अपनी मां मानते हैं. और यही वजह है कि भारत स्थित अयोध्या नगरी को ये लोग अपना नानी गांव मानते हैं.
है ना ये एक दिन बहुत ही रोचक जानकारी जो आपने पहले कभी नहीं सुनी होगी. कोरिया और भारत देश का ये अनूठा रिश्ता सदियों से चला आ रहा है. और आगे भी चलता रहेगा. कोरिया देश के नागरिक हजारों की संख्या में हर साल अयोध्या यानी कि अपने ननिहाल आते हैं.
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