जापान से ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता से वादा किया है कि वह देश से भ्रष्टाचार को मिटाकर ही दम लेंगे. संकेत साफ है.
काले को धन को खत्म करने के लिए 500 और 1000 के पुराने नोटों के चलन पर जो पाबंदी लगाई है यह उस अभियान का पहला चरण है. यानी आने वाले दिनों मेें काले धन को लेकर अभी और कार्रवाई होगी.
मोदी सरकार काले धन को बाहर निकालने के लिए जो संभावित कार्रवाई कर सकती है जानकारों का कहना है कि नोटबंदी के बाद अब जो अगला चरण होगा वह रियल एस्टेट पर होगा.
अर्थशास्त्रियों के अनुसार भारत में वर्ष 2015 में सकल घरेलु उत्पाद (जीडीपी) के लगभग 20 प्रतिशत अर्थव्यवस्था काले बाजार के रूप में विद्यमान थी. वर्ष 2015 में भारत का सकल घरेलु उत्पाद लगभग 150 लाख करोड़ था, इस हिसाब से देश में 30 लाख करोड़ रूपये काला धन हुआ.
वहीं वर्ष 2000 के समय वह 40 प्रतिशत तक थी. लेकिन आज यह धीरे धीरे घटते हुए 20 प्रतिशत तक पहुंच गई है. इस प्रकार अनुमान लगाएं तो 2000 से 2015 के बीच न्यूनतम 400 लाख करोड़ रुपये काला धन बना है.
जबकि रिजर्व बैंक के अनुसार मार्च 2016 में 500 और 1000 रुपये के कुल नोटों का कुल मूल्य 12 लाख करोड़ था जो देश में उपलब्ध 1 रूपये से लेकर 1000 तक के नोटों का 86 प्रतिशत था. अर्थात अगर मान भी लें कि देश में उपलब्ध सारे 500 और 1000 रुपये के नोट काले धन के रूप में जमा हो चुके थे, जो कि असंभव है, तो भी केवल गत 15 वर्षों में जमा हुए 400 लाख करोड़ रुपये काले धन का वह मात्र 3 प्रतिशत होता है! यह बताता है कि देश में अभी केवल 30 लाख करोड़ रूपए ही बाहर आ पाएंगे जबकि शेष बाकी दूसरे माध्यमों से अर्थव्यस्था में कहीं छुपे हुए हैं.
अर्थशास्त्रियों के अनुमान है कि शेष काला धन सोना-चांदी, हीरे-जेवरात, जमीन- जायदाद और बेशकीमती पुरानी वस्तु ( एंटिक्स) आदि की खरीद में लगा है. क्योंकि यह नोटों से अधिक सुरक्षित हैं.
इसके आलावा काले धन से विदेशों में रियल एस्टेट, जमीन-जायदाद खरीदी गई है और उसे विदेशी बैंकों में जमा किया गया है.
मोदी सरकार को पता है कि अधिकांश काला धन घूस लेने वाले राजनेताओं-नौकरशाहों, टैक्स चोरी करने बड़े व्यापारियों और अवैध धंधा करने माफियाओं के पास जमा है. इन्होंने अपनी काली कमाई को नोटों से परिवर्तित कर रियल एस्टेट में निवेश के जरिए छिपा दिया है.
इसलिए सरकार का अगला निशाना रियल एस्टेट और जमीन जायदाद पर है, जहां अधिकांश काला धन छिपा है. इसलिए काले धन के जो कारोबारी अभी प्रधानमंत्री मोदी के बयान को हल्के में ले रहे हैं उनको बहुत जल्द अपनी गलती का अहसास होगा.
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