नोटबंदी और GST – 8 नवंबर 2016 को हुई नोटबंदी ने जहां एक देश की अर्थव्यवस्था को हिला दिया, वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री के इस फैसले का सबसे ज्यादा असर दो वर्गो के लोगों पर हुआ।
जिसमें नोटबंदी की पहली और बड़ी मार जिस वर्ग पर पड़ी वो था निम्न व्यवसायी वर्ग। दूसरा वर्ग था मीडियम वर्ग, जो अपनी कमी का एक बड़ा हिस्सा अपने पास कैश के तौर पर रखता है। अचानक हुई इस नोटबंदी ने लोगों को घर में कम कैश रखने की सीख तो दी ही, साथ ही में लोगों को इस तरह के औचक बदलावों से भी निपटना सिखाया।
RBI ने माना छोटे व्यापारी नोटबंदी और GST ने किया प्रभावित
एमआईएमई क्षेत्र को देश की आर्थिक वृद्धि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। पहले से नोटबंदी की मार झेल रहे लघु उद्योगो और मझोले उद्यमों को जीएसटी ने पूरी तरह से हिला कर रख दिया। ऐसा नहीं है कि इस बात का खुलासा सिर्फ किसी आकड़ों के बिनाह पर किया जा रहा है, बल्कि आरबीआई की ओर से शुक्रवार 17 अगस्त 18 को जारी एक रिपोर्ट में भी इस बात का खुलासा किया गया है। एमएसएमई क्षेत्र का भारत के कुल निर्यात में करीब 40 प्रतिशत का योगदान निहित है। इसी के साथ ही रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि नोटबंदी से पहले ही एमएसएमई क्षेत्र में ऋण वृद्धि धीमी होने के लगी व साथ ही नोटबंदी के कारण इसमें लगातार और गिरावट आती गई।
ऋण पर नोटबंदी और GST का असर
नोटबंदी के साथ ही ऋण पर नोटबंदी के असर की खबर सुर्खियां में छा गई, लेकिन वहीं इस मामले पर GST का कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा।
कुल मिलाकर एमएसएमई कर्ज विशेश रूप से एमएसएमई को दिए जाने वाले माइक्रो लो में अच्छी खासी वृद्धि दर्ज की गई है। अक्टूबर 2016 के बाद एमएसएमई ने इन निर्यात आकड़ो का मूल्याकंन किया, जिसमें उन्होंने मामूली सी गिरावट देखी। लेकिन वहीं जब यह मूल्यांकन एक बार फिर अगल्त 2017 के दौरान किया गया तो निर्यात में एक बड़े स्तर पर गिरावट दर्ज की गई।
इस मामसले पर आरबीआई ने अपने आकड़ों को पेस करते हुए अपने प्रकाशित मिंट स्ट्रीट मेमो में कहा कि “इनपुट टैक्स क्रेडिट और अग्रिम जीएसटी रिफंट में देरी के चलते एमएसएमई निर्यात को नोटबंदी से ज्यादा जीएसटी से जुड़ी दिक्कतों ने परेशान किया है, इससे छोटे उद्योगं की कार्यशील पूंजी जरूरतें प्रभावित हुई है क्योकि वह वह सभी अपने रोजमर्रा के कामकाज के ले पूरी तरह से नकद राशी पर निर्भर होते है” खबरों के मुताबिक रिजर्व बैंक द्वारा पेश की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मिंट स्ट्रीट मेमो में दिए गए विचार भारतीय रिजर्व बैंक के हो यह आवश्यक नहीं है।
अप्रैल-जून 2018 के तिमाही समयकाल के दौरान एमएसएमई को बैंक द्वारा दिया गया कर्ज सालाना तौर पर करीबन 8.5 प्रतिशत से बढ़ा दिया गया। मिंट स्ट्रीट की रिपोर्ट में कहा गया कि प्रमुख वस्तुओं जैसे सोना, चांदी, हीरा कपड़ा, चमड़ा, और हैंडलूम आदि यह कार्यशील पूंजी और मजदूरों के भूगतान के लिए पूरी तरह से नगद पर निर्भर है।
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