भारत में नोट छापने का अधिकार आरबीआई के पास है.
ऐसे में आपके मन में भी कभी ये सवाल आता होगा कि आखिर जब नोट छापे जाते हैं तो ढेर सारे क्यों नहीं छाप देती आरबीआई ताकि देश से गरीबी दूर हो जाए और सब अमीर हो जाएं. जब देश में बहुत सारे पैस होंगे तो किसी से उधार लेने की भी ज़रूरत नहीं पड़ेगी.
भले ही आम लोग ऐसा सोचे, लेकिन सच्चाई तो यह है कि आरबीआई अगर ढेर सारे पैसे छापने लगे तो करोड़पति भी रोड़पति हो जाएंगे. अब आप सोच रहे होंगे कि भला वो कैसे तो हम आपको बता दें कि किसी देश की बैंक अपनी मर्जी से नोट नहीं छाप सकती, उसके लिए कुछ नियम कायदे बने होते हैं. जानकारों का कहना है कि यदि आरबीआई ढेर सारे पैसे छापने लगे तो इससे महंगाई बहुत बढ़ेगी. जब अचानक सब लोगों के पास काफी ज्यादा पैसा आएगा, तो उनकी अपेक्षाएं भी बढ़ जाएंगी. इसकी वजह से सामान की कीमतें भी बढ़ेंगी. मान लीजिए पहले जो सामान 10 रुपए का मिलता था, अब उसकी कीमत सैकड़ों गुना बढ़ जाएगी.
इस तरह से करोड़ों रुपए होने के बाद भी इंसान अमीर नहीं बनेगा.
कुछ देश ऐसे हैं जिन्होंने नोट छापने की गलती कि जिसकी सजा आज तक भुगत रहे हैं.
वेनेजुएला के केंद्रीय बैंक ने अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए ढेर सारे नोट छापे, 1 करोड़ और एक खरब का नोट छापा गया, लेकिन इसके बावजूद यहां के लोग भूख से तड़प रहे हैं. सुपरमार्केट में सामान नहीं मिल रहा है. यहां एक लीटर दूध और अंडे खरीदने की खातिर लोगों को लाखों रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. हर साल महंगाई 10 लाख गुना बढ़ रही है.
ज़्यादा करेंसी छापने की वजह से यहां की करेंसी की वैल्यू डॉलर के मुकाबले गिर गई.
वेनेजुएला की तरह ही जर्मनी भी यह गलती कर चुका है. पहले विश्व युद्ध के बाद जर्मनी की अर्थव्यवस्था चरमरा गई थी. युद्ध की जरूरतें पूरा करने के लिए जर्मनी ने बहुत से देशों से कर्ज ले लिया था, मगर युद्ध में हुई हार के बाद वह कर्ज चुकाने में असफल रहा. जर्मनी ने सोचा कि हम खूब सारा पैसा छाप कर अपना कर्जा उतार लेंगे. बस फिर जर्मनी ने यही किया और उसने ढेर सारे पैसे छाप दिए जिसका नतीजा यह हुआ कि वहां की मुद्रा का अवमूल्यन हो गया और वहां की महंगाई आसमान छूने लगी.
तो अब आप समझ ही गए होंगे कि आरबीआई ढेर सारे पैसे क्यों नहीं छापती, क्योंकि अगर उसने ऐसा किया तो भारत का हाल भी इन्हीं देशों की तरह हो जाएगा.