आरबीआई की सोना खरीदने की वजह – आप और हम जैसे लोगो के लिए सोना खरीदना एक बहुत बडी बात होती है.
अब लोग आम तौर पर सोना या तो अपने घर की किसी शादी के अफसर पर खरीदते हैं या फिर त्यौहारों के समय. या फिर ज्यादा से ज्यादा कई बार इंवेस्ट्मेंट के लिए सोना खरीदते हैं. अब वजह चाहे जो भी हो लेकिन हम सोना तोले में खरीदते हैं. मगर कुछ दिन पहले भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI ने सोना खरीदा है और वो भी कुछ तोले नहीं बल्कि 8.5 टन.
यह इतना सोना है की आपको इसे ले जाने में कम से कम 4 बडे ट्रको की जरूरत पडेगी.
आरबीआई की सोना खरीदने की वजह –
अब आपके मन में भी एक सवाल जरूर उठ रहा होगा की आखिर रिजर्व बैंक इतना सोना किस लिए खरीद रहा है? आपको बता दे की वैसे तो पुराने जमाने में सोने के सिक्के या चांदी तांबे को करेंसी के तौर पर खरीदा जाता था लेकिन मॉर्डन जमाने में पेपर करेंसी का चलन है. जिसके मुताबिक आपके नोट पर जितना अमाउंट लिखा होगा आप उतने का सामान खरीद सकते होंगे. तो फिर आखिर ऐसी क्या वजह है जो RBI मॉर्डनकरेंसी को छोड कर पुराने जमाने की तरह सोना खरीद रहा है? क्या रिजर्व बैंक के घर में किसी की शादी है जो वो 8.5 टन सोना खरीद कर लाया है. आइए जानते हैं इसके पीछे की पूरी जानकारी –
आपको बता दे की रिजर्व बैंक ऐसा पहली बार नहीं कर रहा है जब उसने इतना ज्यादा सोना खरीदा हो, अगर आरबीआई की हर साल की रिपोर्ट निकाली जाए तो उनके बैन के पास करीब 575 टन सोना है. यह आंकडे ताजा खरीद के बाद तैयार किए गए हैं. देखा जाए तो भारत में करीब एक हाथी का वजन 5.5 टन होता है यानी आरबीआई के पास 105 स्वस्थ हाथियो के वजन जितना सोना है. इससे पहले आरबीआई ने साल 2009 में IMF से 200 टन सोना खरीदा था.
तो अब आते हैं इस सवाल पर की आखिर आरबीआई इस सोने का करता क्या है? दुनिया में जितने भी देश हैं सभी पर अपने देश की अलग-अलग करेंसी होती है. जैसे भारत में रुपया है, अमेरिका में डॉलर और यूरोप में पाउंड्स हैं. लेकिन ये सभी करेंसी केवल देश की सिमाओ तक ही चलती है यानी इसे आप देश के बहार इस्तेमाल नहीं कर सकते, तो जब कभी भी इंटरनेशनल मार्केट में कोई भी देश दूसरे देश से डील करता है तो उसे इंटरनेशनल ट्रेडिंग कहा जाता है, और इस खरीद बेच में अमेरिकी डॉलर इस्तेमाल किया जाता है.
तो दोस्तो आरबीआई यह सोना इंटरनेशनल मार्केट में खरीद बेच के समय इस्तेमाल करता है. इस बात का उदाहरण है 1991 में भारत की आर्थिक स्थिति बेहद बिगड गई थी तो उन्हो ने स्वीजरलैंड को करीब 1437 करोड में समगलिंग में पकडा हुआ सोना गिरवी रख कर पैसा उधार लिया.
ये है आरबीआई की सोना खरीदने की वजह – देखा जाए तो दोस्तो जिस देश के रिजर्व बैंक के पास जितना ज्यादा सोना होगा वह देश की खराब आर्थिक स्थिति में अन्य देशो से उतना ही सोना गिरवी रख कर उधार ले पाएगा. फिलहाल दुनिया में सबसे अधिक सोने का बंडार अमेरिका के पास है लगभग-लगभग 8133 मीट्रीक टन. अर्थात आरबीआई किसी की शादी या त्यौहार के लिए इतना सोना नहीं खरीद रहा है बल्कि वह देश की आर्थिक स्थिति अच्छी करने के लिए ऐसा कर रहा है.
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