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केंद्र सरकार ने RBI के रिज़र्व में से 3.6 लाख करोड़ रुपए क्यों मांगे?

रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार

रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार – मोदी सरकार के अभी तक पूरे 5 साल भी नहीं किए की उनकी पोल खुलने लग गई है.

बता दे की नरेंद्र मोदी और अमित शाह राफेल मामले से इस तरह छिपते फिर रहे हैं की सभी का शक मोदी सरकार पर बढता जा रहा है. देश के सबसे बडे इंवेस्टीगेशन ब्यूरो सीबीआई से पंगा लेने के बाद अब मोदी सरकार पर देश का सबसे बड़ा बैंक रिजर्व बैंक निशाने पर है.

बता दे कि आज से पहले रिजर्व बैंक को केंद्र सरकार की तरफ से इतनी परेशानी कभी नहीं हुई जितनी की उन्हे मोदी सरकार के कार्यालय में हो रही है. रिजर्व बैंक हमारे देश का वो बैंक है जो सभी बैंकिंग सिस्टम को कंट्रोल में रखता है. लेकिन कुछ समय से इस बैंक से केंद्र सरकार को कुछ शिकायतें हैं जिनके कारण सरकार बैंक के काम में दखल अंदाजी करने लगी है.

रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार के बीच हो रही कहा सुनी फिलहाल किसी से नहीं छुपी है.

रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार

जहा एक तरफ छुपकर मीटिंग में वित्त मंत्री रिजर्व बैंक के आगे अपनी शर्ते रखते हैं वही दूसरी ओर रिजर्व बैंक के मुखिया उर्जित पटेल मीडिया के सामने उनकी पोल खोल देते हैं जिस कारण सरकार रिजर्व बैंक से नाराज है.

सरकार रिजर्व बैंक को पूरी तरह से अपंग बनाना चाहती है और साथ ही चाहती है कि रिजर्व बैंक उनके मुताबिक अपने कार्य पूरे करें. सरकार की ये दखल अंदाजी रिजर्व बैंक को बिल्कुल पसंद नहीं आ रही जिसके कारण उन्होने सरकार की कोई भी बात मानने से इनकार कर दिया है. इसके बाद केंद्र सरकार ने रिजर्व बैंक को आखिरी वार्निंग दी है और साथ ही कहा है की अगर उन्होने सरकार की बात नहीं मानी तो वह सेक्शन सात क इस्तेमाल करेगी. बता दे की सेक्शन सात के मुताबिक रिवर्ज बैंक के सारे कामकाज सीधे तौर पर केंद्र सरकार के हाथ में आ जाएंगे.

अभी इस बात का फैसला होना बाकी है की रिजर्व बैंक पर सरकार अपना हक जता सकती है या नहीं. सेक्शन सात लागू होगा या नहीं इस बात का भी पता 19 नवंबर को ही चलेगा. बताया जा रहा है की केंद्र सरकार की इस बैठक के बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर की भूमिका कम हो सकती है.

रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार

फिलहाल ये तो नहीं पता की 19 नवंबर को रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार की बैठक में सरकार जीतेगी या रिजर्व बैंक, लेकिन उससे पहले सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है जिसके मुताबिक केंद्र सरकार चाहती है की रिजर्व बैंक के पास रखा सुरक्षित पैसे का एक तिहाई हिस्सा उन्हे दे दिया जाए, जिसे अर्थव्यवस्था में शामिल किया जा सके.

रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार – रिजर्व बैंक के पास कुल 9.53 लाख करोड रुपये हैं, जिसमें से सरकार चाहती है कि एक तिहाई हिस्सा यानी कुल 3.6 लाख करोड निकाल लिए जाए और उसका देश के हित के लिए इस्तेमाल किया जाए. सरकार ने इस बात का भी प्रस्ताव दिया है कि इस पैसे को कैसे और कहा खर्च किया जाए इसका फैसला केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक मिलकर कर सकते हैं.

रिजर्व बैंक को सरकार के हाथ इतनी बडी राशि देने में झिजक इसलिए हो रही है क्योंकि उन्हे सरकार पर भरोसा नहीं है. आज तक हमारे देश में जितनी भी सरकार आई उन सभी ने अर्थव्यवस्था के नाम पर सपने दिखा कर हमे केवल लूटा ही है और इसी बात का डर रिजर्व बैंक को मोदी सरकार से भी है.