9. इलाके के लोग आज भी दशहरा के दिन रावण का पुतला नहीं जलाते हैं. कुछ लोगों ने ऐसी कोशिश की लेकिन पूरा इलाका महामारी की चपेट में आ गया. लोगों का कहना है कि रावण को शिव का वरदान था कि उसका कोई तिरस्कार नहीं कर सकता. सावन के महीने में यहां भगवान शिव और रावण दोनों की पूजा की जाती है.