ट्रेन में चूहे – भारत में चलने वाली ट्रेनों में राजधानी का नाम बड़े गर्व से लिया जाता है.
जो लोग राजधानी से यात्रा करते हैं वो सोशल साइट्स पर अपडेट करने से पीछे नहीं हटते. राजधानी का टिकट बाकी ट्रेनों से महंगा मिलता है. कहने को तो ये राजधानी है, लेकिन इसमें मिलने वाली सुविधा आम ट्रेन के बराबर ही है.
भारतीय रेलवे की हालत कभी नहीं सुधरेगी. यात्रियों से टिकट के लिए मोटी रकम तो ले ली जाती है लेकिन उसके बदले कोई सुविधा नहीं दी जाती.
कई बार ऐसा होता है कि फ्लाइट की टिकट राजधानी से सस्ती मिल जाती है.
ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि कई बार इस तरह की टिकट बुक किये गए हैं और लोगों ने सोशल मीडिया पर अपडेट किया है.
इसका मतलब ये हुआ कि भले ही हवाई जहाज़ अपनी टिकट सस्ती कर दें, लेकिन राजधानी नहीं कर सकती. राजधानी का टिकट इसलिए सस्ता नहीं किया जाता, क्योंकि उसमें इंसानों से ज्यादा चूहे सफ़र करते हैं. सुरक्षा के नाम पर राजधानी कई बार ० नंबर पायी है.
कभी राजधानी में लड़की का रेप हुआ है तो कभी भीषण आग ने लोगों को मौत के मुंह में डाला है.
कभी सही तरह का खाना नहीं मिला है, तो कभी बच्चे के दूध में काक्रोच मिला है. ये है राजधानी की सुविधा. हाल ही में एक बूढ़े आदमी के साथ कुछ ऐसा हुआ जिसे सुनकर आपके कान खड़े हो जाएंगे. दिल्ली से मुंबई जा रहे एक वृद्ध के साथ कुछ ऐसा ही हुआ. उनके कान पर रात करीब 12 बजे एक चूहे ने काट लिया.
अब आप सोच सकते हैं कि राजधानी में किस तरह की सफाई और सुविधा होती है.
इतना ही नहीं जब इस बूढ़े आदमी को एहसास हुआ कि किसी ने इनका कान काट लिया है तो ये कोच में मौजूद टिकट चेकर को बुलाए.
कान से बहते खून को रोकने के लिए वृद्ध आदमी ने अपने रुमाल से उसे बाँध लिया और मदद के लिए चिल्लाता रहा, लेकिन टीसी ने ज्यादा ज़हमत नहीं उठायी. जब बाकी यात्रियों ने शोर मचाना शुरू किया तब जाकर उसने एक डॉक्टर का इंतजाम किया. डॉक्टर आया. चूँकि रेलवे का ही डॉक्टर था इसलिए रेलवे की बुराई तो उसकी ७ पुस्तें नहीं करेंगी.
डॉक्टर साहिबा ने बड़ी बेदर्दी से बूढ़े आदमी को कुछ दवाइयां लिख दीं और बदले में ५०० का नोट भी ले लिया.
इतना ही नहीं उसने तो यहाँ तक कह दिया कि ये किसी चूहे ने नहीं काटा, बल्कि खाज है. हद होती है इस तरह के कमेन्ट की. किसी को चूहा काटे और कहा जाए की खाज है, ये तो हद करने वाली ही बात हुई. उस शख्स ने जैसे तैसे अपनी यात्रा पूरी की.
इस तरह का ये पहला केस नहीं है. राजधानी में कई बार चूहों के होने का ज़िक्र किया गया है. जब भी ट्रेन में बैठते हैं तो आसपास चूहे आना शुरू हो जाते हैं. जब इसकी शिकायत कोच मैन को की जाती है तो वो सीधे पल्ला झाड़ते हुए कह देता है कि आपका वहम होगा. राजधानी ट्रेन में चूहे कहाँ से आएँगे. हम बहुत ध्यान रखते हैं ट्रेन का.
ये तो है हमारी भारतीय रेलवे जहाँ इंसान से ज्यादा ट्रेन में चूहे सफ़र करते हैं. अगर आप भी राजधानी से कर रहे हैं सफ़र तो सावधानी से जाएं.
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