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बाढ़ के बाद अब केरल में रैट फीवर का कहर, जानिए आखिर क्या है ये बीमारी?

अगस्त में आई भयंकर बाढ़ की तबाही से केरल के लोग अभी उबरने की कोशिश कर ही रहे थे कि रैट फीवर ने लोगों को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है.

बाढ़ का पानी उतरने के बाद से केरल में लेप्टोस्पायरोसिस यानी रैट फीवर तेजी से फैल रहा है. अब तक इस बुखार से नौ लोगों के मरने की खबर है.

सरकारी आकड़ों के अनुसार,, सोमवार को पलक्कड़ और कोझीकोड़ जिलों में लेप्टोस्पायरोसिस (रैट फीवर) के कारण दो लोगों की की मौत हो गई. साथ ही राज्य के अलग-अलग अस्पतालों में 71 लोग लेप्टोस्पायरोसिस (रैट फीवर) से पीड़ित हैं. इतना ही नहीं 123 लोगों में इस बीमारी के लक्षण मिलने की भी खबर है. रैट फीवर पानी से होने वाली बैक्टीरियल डिसीज है जो जानलेवा होती है. यह बीमारी संक्रमित जानवरों के पेशाब के ज़रिए फैल है. इस बीमारी से पीड़ित मरीज को मांसपेशियों में दर्द होने के साथ ही बुखार भी आता है.

रैट फीवर (लेप्टोस्पायरोसिस) आमतौर पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक नहीं फैलती है और कुछ एंटीबॉयोटिक्स से इसका इलाज किया जा सकता है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, राज्य में हर साल मॉनसून सीजन में लेप्टोस्पायरोसिस के मामले सामने आते हैं क्योंकि धान के खेत पानी से भर जाते हैं. इससे किसानों के संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है. अगर कोई घाव या चोट लग जाए तो यह खतरा ज्यादा बढ़ जाता है. लेकिन इस बार चिंता करने वाली बात ये है कि बीमारी की चपेट में आने वाले लोगों में दिखने वाले लक्षण जैसे पेचिस, यूरीन में ब्लड आना या स्किन पर ब्लीडिंग स्पॉट सामने नहीं आ रहे हैं.

इस बार यह इन्फेक्शन तेज़ और प्रोग्रेसिव है. केरल में  हाल ही में हुई मौतों से महामारी की आशंका बढ़ गई है. बचाव के लिए केरल में टैबलेट के तौर पर प्रिवेंटिव मेडिसिन बांटी जा रही हैं जिसे एक महीने तक सप्ताह में एक बार लेना होता है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के अनुसार, लेप्टोस्पायरोसिस का इन्क्यूबेशन पीरियड 5 से 14 दिनों के बीच का होता है. इसके लक्षण फ्लू की बीमारी के तरह लग सकते हैं, लेकिन ये जानवेला साबित होता है.

रैट फीवर का वायरस इंसानों में चोट लगने, घाव होने या फिर आंख, नाक या मुंह के म्यूकस मेम्ब्रेन के जरिए भी जा सकता है. बाढ़ के कहर से बचे केरल के लोगों को रैट फीवर के कहर से बचने के लिए सतर्क रहने क ज़रूरत है, किसी भी तरह की स्वास्थ्य समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए.