राजनीति

राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद खतरे में हैं केजरीवाल की सरकार !

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की कुर्सी खतरे में पड़ सकती हैं.

केजरीवाल की सरकार रहेगी या जायेगी इसका फैसला अब चुनाव आयोग के फैसले पर निर्भर है. चुनाव आयोग ने आरोपों को सही पाया तो आम आदमी पार्टी के 27 विधायकों को अपने पद से हाथ धोना पड़ सकता हैं.

यदि ऐसा हुआ तो केजरीवाल की सरकार के सामने मुश्किल खड़ी हो सकती हैं. उस स्थिति में उनके पास 40 विधायक बचेंगे, जो कि बहुमत से मात्र 4 अधिक है. लेकिन उनमें कई विधायक पार्टी से नाराज चल रहे हैं तो कुछ को केजरीवाल ने पार्टी से बाहर का रास्ता दिख दिया है. जिसको देखते हुए साफ लग रहा है कि केजरीवाल के सर पर अब तलवार लटक रही है.

यही कारण है कि दिल्ली में केजरीवाल की सरकार के भविष्य को लेकर सवाल उठने लगे हैं क्योंकि जिस प्रकार लाभ के पद में फंसे आप के 21 विधायकों के बाद 27 और विधायक भी लाभ के पद में फंस गए हैं. उसको देखते हुए लग रहा है कि केजरीवाल के लिए आगे की राह आसान नहीं है.

गौरतलब है कि लाभ के पद के मामले में आप के 21 अन्य विधायकों की सदस्यता पर पर पहले से ही जांच चल रही है, जिसे देखते हुए आप पर दोहरा संकट मंडरा रहा है क्योंकि 21 विधायको के बाद अब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 27 अन्य विधायकों की सदस्यता रद करने वाली याचिका चुनाव आयोग को भेज दी है.

राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग से मामले की जांच के लिए कहा है।

क्योंकि इन विधायकों के भविष्य पर ही दिल्ली में आप सरकार का भविष्य टिका है. अगर इनकी सदस्यता रद्द होती है तो केजरीवाल की सरकार गिर जाएगी.

राजनीति जानकारों का मानना है कि राष्ट्रपति ने जिस प्रकार चुनाव आयोग से मामले की जांच करने को कहा है उससे साफ है कि राष्ट्रपति याचिका कर्ता के आरापों से संतुष्ट है. यदि आरोपों में दम नहीं होता तो वे उसको वहीं खारिज कर देते।

वहीं इस मामले को लेकर जिस प्रकार आप के प्रमुख नेताओं ने चुप्पी साध रखी है, उसको देखते हुए लगता है कि उनको भी इस बात का एहसास है कि यह मामला इतना आसान नहीं है कि इसको राजनीति रंग देकर बाकी मामलों की तरह इससे पीछा छुड़ा लिया जाए क्योंकि यहां जो भी तय होगा वह सब कानून की परिधी में होगा.

केजरीवाल की सरकार इसको लेकर यह आरोप नहीं लगा सकती है कि दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग की तरह राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी भाजपा से मिले हैं.

बताते चलें कि आप के जो 27 विधायक लाभ के पद के मामले में फंसे हैं, उन विधायकों को अलग-अलग अस्पतालों में रोगी कल्याण समिति का चेयरमैन बनाया गया था. एक व्यक्ति एक समय में दो लाभ के पदों पर नहीं रह सकता है.

रोगी कल्याण समिति में विधायक सदस्य के तौर पर शामिल हो सकता है, लेकिन अध्यक्ष के पद पर नहीं. ऐसे में यह लाभ के पद के दायरे में आता है.

गौरतलब है कि इसके पूर्व कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी और सांसद जया बच्चन को लाभ के दोहरे पछ पर रहने कारण अपने सांसद पद से त्यागपत्र देकर दोबारा चुनाव लड़ना पड़ा था.

उसके पीछे भी यही कारण था कि दोनों सांसद होने के साथ दूसरे पदों पर अध्यक्ष के तौर पर आसीन थी.

Vivek Tyagi

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