बलात्कार की वजहें – भारत देश में न जाने लोगों को क्या हो गया है.
देश को आजाद हुए जमाने हो गए है. लेकिन हमारे समाज में आज भी हमारी ही मां, बहन, बेटी आजाद नहीं है. हर दिन बलात्कार के दर्दनाक मामले सामने आते रहते हैं. छोटी-छोटी बच्चियां इंसान रुपी हैवान का शिकार होकर अपनी जिंदगी गवा देती है. दिन के समय में भी महिलाओं का घर से निकलना सुरक्षित नहीं लगता.
चिंतन की बात है कि आखिर समाज में लोगों की मानसिकता ऐसी क्यों है कि वो हैवान बन बैठा है. इन कारणों के बारे में जब आप गौर फरमाएंगे तो आपका दिमाग ठनक जाएगा. यकीनन कहीं ना कहीं ये कुछ बलात्कार की वजहें है जिनसे इंसान हैवान बन बैठता है. कुकर्म करने पर मजबूर महिलाओं का दुश्मन बन जाता है.
बलात्कार की वजहें –
1. एकांत में मवालियों का अड्डा
गांव हो या फिर शहर इन जगहों पर बने पुराने खंडहरों कि जब कोई सुध लेने वाला नहीं रहता तब ये एकांत जगह आपराधिक किस्म वाले लोगों और आवारा मवालियों का अड्डा बन जाया करता है. बिगड़ैल अमीरजादों की बात करें तो उनके लिए उनके फार्म हाउस अपने गलत मंसूबों को अंजाम देने का अड्डा बना करता है. जबकि पुराने एकांत खंडहरों में झुग्गी बस्ती में रहने वाले अपराधिक तत्वों के व्यक्ति अपना अड्डा बनाया करते हैं. दौलतमंद लोगों की बात करें तो हर कोई बड़े-बड़े फार्म हाउस अपने लिए बनाते हैं. पुलिस और प्रशासन से दूर इन जगहों पर किस तरह के कार्यों को अंजाम दिया जाता है इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं होता. ऐसे में इंसान रुपी चोला पहने हैवान अपने करतूतों को बेफिक्री से अंजाम देते रहते हैं. ये जगह ऐसे होते हैं जहां महिलाओं के साथ जबरन बलात्कार हो जाए और वह चीखती-चिल्लाती रह जाए तो भी कोई भी आवाज सुनकर नहीं पहुंच पाता. देश में 60 फ़ीसदी केस बलात्कार के इसी तरह के मामले सामने आए हैं.
2. लचर कानून व्यवस्था
इस बात को तो हर देशवासी मानता है कि हमारा कानून व्यवस्था काफी लचर-पचर है. कानून अगर पूरी तरह से सख्त हो तो आपराधिक मामले काफी हद तक कम हो जाते हैं. अपराधी को सजा मिलने में काफी देरी होती है. कई बार पीड़ित को इंसाफ मिलने में ताउम्र लग जाती है. बावजूद इसके कई बार कानून फैसला कर पाने में असमर्थ रह जाता है. पुलिस हो या प्रशासन वो कमजोर नहीं है बल्कि कमजोर है उनकी इच्छा शक्ति. कई बार आप यूं कह सकते हैं कि लालच की वजह से भी दौलतमंदों के सामने प्रशासनिक शिथिलता देखने को मिलती है. अपराधियों को जेल की सलाखों के बजाए गलियारों में ले जाने का काम करती है. पुलिस की लाठी बस और लाचार लोगों पर जुल्म ढाने का काम करती है. कमजोर कानून की वजह से अपराधी आसानी से बच निकलने में सफल हो जाते हैं तो कई बार सबूत के अभाव में अपराधी को सजा नहीं मिल पाता और वे आजादी से चैन की सांस लेते रहते हैं.
3. पुरुषों की मानसिक दुर्बलता
इस पुरुष प्रधान समाज में पुरुषों के दिमाग में महिलाओं के लिए वैसे ही बहुत अच्छी सोच नहीं होती. ऊपर से सोशल मीडिया के इस चलन में लोग जब चाहे जहां चाहे और जो चाहे आसानी से देख सकता है. इंटरनेट पर उत्तेजक और घटिया फोटोज जब शेयर किए जाते हैं तो उस पर आने वाले गंदे कमेंट्स पुरुषों की गंदी मानसिकता को दर्शाने का काम करती है. उत्तेजक किताबें पढ़कर और पोर्न फिल्मों को देखकर पुरुषों की सोच और भी दुर्बल हो जाती है. वे अपनी उत्तेजना पर काबू पाने में असमर्थ हो जाते हैं और बलात्कार जैसे कुकर्म को अंजाम दे बैठते हैं.
4. महिलाओं का कमज़ोर आत्मविश्वास
महिलाएं अगर आत्मविश्वास से भरी हो तो कोई भी पुरुष उनसे टक्कर लेने से पहले हजार बार सोचेगा. साथ ही सभी महिलाओं को शारीरिक रूप से सबल होना चाहिए ताकि कोई भी विपरीत परिस्थिति हो उससे अपने आप को बचा पाने में सक्षम हो सके. जिस तरह बलात्कार की घटनाएं होती है ऐसे में हर किसी को अपनी बेटियों को निडर बनाने की आवश्यकता है और उन्हें विपरीत परिस्थितियों से लड़ने की ट्रेनिंग देने की आवश्यकता है.
5. फैलता नशा
नशे की हालत में इंसान इंसान नहीं रह जाता वो अपना नियंत्रण खो बैठता है. नशे की हालत में व्यक्ति के बहकने की संभावनाएं सौ फ़ीसदी बढ़ जाती है. ऐसे में किसी महिला को देखकर उसका हवस प्रबल हो जाए तो कोई बड़ी बात नहीं. रिपोर्ट के अनुसार 85 फ़ीसदी बलात्कार के मामले ऐसे होते हैं जिसके पीछे की मुख्य वजह नशा है.
ये है बलात्कार की वजहें – अंत में मैं अपने देशवासियों से यही कहना चाहूंगी कि बलात्कारियों को धर्म और मजहब के चश्मे से ना देख कर इंसानियत के नाते देखें. बलात्कारी किसी भी धर्म या मजहब वाले हो सकते हैं. आवश्यकता है कि हम सब एक होकर समाज को बलात्कारियों से निजात दिलाएं. आवश्यकता इस बात की भी है कि हम अपनी बहन बेटियों को इतने सक्षम बनाएं कि किसी भी विपरीत परिस्थिति से वो निपट सके और इससे भी अधिक आवश्यकता इस बात की है कि हम अपने बेटों को ऐसी शिक्षा दें कि वह समाज से बुराइयों को मिटाने की सोचे ना कि बुराइयों फैलाने की.