रेप पीडिताओं के कपङे – जब किसी महिला के साथ रेप होता है तो अपराधी उस महिला के शरीर का ही नही बल्कि मान सम्मान, अधिकार और सपनों का भी बलात्कार करते हैं ।
लेकिन इसके बावजूद भी समाज से चहेरा रेप पीडिता को छिपाना पङता है ।
अछूत, अशुद्ध कहकर समाज से अलग किया जाता है और ये सब कोर्ट के बाहर ही नही कोर्ट के अंदर भी होता है । रेप पीडिता से पूछा जाता है कि उन्होंने उस वक्त क्या पहना था किस तरह के कपङे पहने थे । हालांकि मुझे आज तक समझ नही आया कि एक महिला के साथ हुए दुष्कर्म के लिए कपङे कैसे जिम्मेदार है । खैर फिर भी ये सवाल अब हमारे समाज में आम हो चुका है ।
इसलिए बैंगलरु के एक महिला रेप पीडिताओं के कपङे इकट्ठे करती है और उन्हे अपने पास संभाल कर रखती है ।
अक्सर लोगों को अलग- अलग तरह की चीजों को संभालकर रखते देखा होगा । इसलिए शायद इस महिला का रेप पीडिता के कपङे इकट्ठे करना और उन्हें संभालकर रखना आपके लिए ताज्जुब की बात होगी । लेकिन जो महिला कर रही है ये करने की हिम्मत शायद ही किसी में होगी । क्योंकि आज के जमाने में जहाँ लोग किसी का दर्द बांटने से पहले भी दस बार सोचते है ऐसे में ये महिला तो किसी के दर्द को संभाले हुए है ।
बेंगलुरु की रहने वाली जसमीन पाथेजा पेशे से एक कलाकार और सोशल वर्कर है । जो यौन शोषण की शिकार महिलाओं की मदद करती है । पाथेजा यौन शोषण की शिकार महिलाओं के कपङे अपने पास अपने घर के एक कमरे में संभालकर रखती है । पाथेजा का ये कमरा किसी म्यूजियम से कम नही है जिसमे अब तक हुए कई रेप पीडिताओं के कपङे रखे है ।
दिखने में यहां रखे कपङे किसी आम कपङे जैसे है लेकिन इन से जुङी कहानियां उतनी ही दर्दनाक और भयानक है । पिछले साल न्यू ईयर पर बैंगलुरु में एक महिला के साथ हुआ गैंगरेप तो आपको याद ही होगा । उस रेप पीडिता का जम्पसूट भी पाथेजा के इस कमरे में मौजूद है ।
पाथेजा के अनुसार रेप कभी कपङे या उम्र देखकर नही होता । उनके इस कमरे में स्कूल की बच्ची की स्कूल ड्रेस से लेकर , स्विम सूट , सूट और भी कई तरह के कपङे है जो ये बताते हैं कि हमारे समाज में कपङे और उम्र सिर्फ एक बहाना है । , सेफ कोई नही है । न ही एक साल की बच्ची और न ही 60 साल की महिला ।
पाथेजा के अनुसार जिन महिलाओं ने उन्हें ये कपङे दिए । उन महिलाओं के अनुसार उन्हें ये कपङे देखकर हर पल उनकी कमजोरी का अहसास होता है और वो भयानक मंजर उनके सामने आता है । पाथेजा के इस अभियान का नाम “आई नेवर आस्क फाॅर इट ” है ।जिस के तहत ये रेप पीडिताओं के कपङे जमा करती है।
बहुत अजीब बात है एक ही समाज में किस किस तरह के लोग हैं एक वो जो महिला की पवित्रता को उसके शरीर की शुद्धता से देखते है । जब तक उसे किसी ने छूआ नही वो पवित्र है । और कुछ पाथेजा जैसे जो पवित्रता को शरीर में नही मन में देखते हैं ।
“दूसरों के दर्द में रोते हुए तो बहुत देखे , पर किसी के दर्द को सीने से लगता पहली बार देखा “