हमारे देश में रेप और गैंगरेप की खबर कोई नई तो है नहीं, हर दिन कहीं न कहीं से ऐसी खबर आती ही रहती है.
ताज़ा मामला है बिहार के गया जिले का जहां एक शख्स के सामने ही दरिदों ने उनकी बेटी और पत्नी से गैंगरेप किया. हैवानियत की हद तो ये है कि बदमाशों ने उस शख्स को पेड़ से बांध दिया ताकि बेबस होकर वो अपनी पत्नी और बेटी की इज्जत लुटते हुए देखे.
गया जिले के एक डॉक्टर परिवार के लिए 13 जून की रात किसी काली रात से कम नहीं थी, क्योंकि इस दिन उस परिवार के साथ जो हुआ भगवान न करे कि वो किसी और के साथ हो. 13 जून की रात गुरारू में प्राइवेट क्लिनिक चलाने वाले डॉक्टर 8 बजे क्लिनिक बंद करके अपनी पत्नी और बेटी के साथ बाइक से गांव जाने के लिए निकले, लेकिन घर पहुंचने से पहले ही उनके साथ अनहोनी हो गई. कोंच नामक इलाके के पास हथियारों से लैस बदमाशों के झुंड से उनका सामना होगा, उन बदमाशों ने पहले तो डॉक्टर और उनकी पत्नी से सारे पैसे और जेवर छीन लिए, फिर डॉक्टर को पेड़ से बांध दिया.
करीब 20 लोगों के बदमाशों के ग्रुप में से कुछ डॉक्टर की 12 वर्षीय बेटी को वहां से कुछ दूर ले गए और उसके साथ रेप और गैंगरेप किया. जबकि उसी समूह के अन्य लोगों ने पत्नी के साथ गैंगरेप किया. घटना के बाद डॉक्टर ने किसी तरह शिकायत दर्ज करवाई, लेकिन वो बेटी से गैंगरेप की बात नहीं बता रहे थे क्योंकि उन्हें डर था कि ऐसा करने पर समाज में उनकी और बेटी की ज़्याद बदनामी होगी और कोई बेटी से शादी नहीं करेगा.
कितनी अजीब बात है न, जो अपराध करता है वो सीना तान कर चलता है और जिसकी कोई गलती नहीं वहीं ज़िंदगीभर इस दर्द के साथ जिए कि उसका सबकुछ लुट गया. शर्म तो उन दरिंदों को आनी चाहिए जो ऐसा घिनौना काम करते हैं, लेकिन हमारे देश में तो उल्टी गंगा ही बहती है. दोषी और अपराधी बेखौफ घूमेंगे और पीड़ित डर के साये में जीने को मजबूर होता है.
खैर किसी तरह पुलिस के समझाने बुझाने पर डॉक्टर और उनकी पत्नी से सारी बात पुलिस को बता दी, इस मामले में 17 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है, मगर सवाल ये उठता है कि इस तरह की छोटी-मोटी कार्यवाहियों से क्या रेप की वारदातें रुक जाएंगी? शायद नहीं, क्योंकि पुलिस आमतौर पर अपराधियों को गिरफ्तार तो कर लेती हैं, मगर ज़्यादातर मामलों में वो तुरंत रिहा भी हो जाते हैं, इन्हें न तो कानून का डर होता है और न ही अपने किए पर पछतावा, तो ऐसे लोग दोबारा फिर वही काम करते हैं.
ऐसे अपराधियों का तो कुछ नहीं बिगड़ता, लेकिन जिस परिवार की किसी महिला और बेटी के साथ रेप और गैंगरेप जैसा जघन्य अपराध होता है सारी ज़िंदगी वो सामान्य नहीं हो पाती और एक डर व खौफ के साए में जीने को मजबूर हो जाती है. ज़रा उस डॉक्टर के बारे में सोचिए जिसने अपने सामने अपनी बेटी और पत्नी के साथ हैवानियत होते हुए देखी है और वो इतना बेबस था कि कुछ नहीं कर पाया.
रेप और गैंगरेप के मामले में हमारे कानून और पुलिस व्यवस्था को कम से कम अब तो बदल जाना चाहिए, इसे इस तरह हल्के में लेने वाला रवैया बदलने की ज़रूरत है. बहरहाल, ये बदलाव कब तक आएगा कहा नहीं जा सकता और जब तक ये बदलाव नहीं आएगा तब तक इस देश की बेटियां एक डर के साये में जीने को मजबूर हैं.
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