रेप और सेक्षुअल एब्यूज़ जैसी घिनौनी घटनाएँ हमारे आज के समाज पर एक कलंक बनती जा रही हैं!
जहाँ एक तरफ भारत में महिलाएँ सुरक्षति नहीं हैं, वहीं सीमा पार हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी औरतों को कोई ख़ास सुरक्षा प्रदान नहीं की जा रही|
लेकिन आंकड़े क्या बताते हैं? कहाँ के हैं बुरे हालात?
आंकड़ों के मुताबिक, भारत में हर एक लाख की जनसँख्या में 2 महिलाओं का रेप होता है! भारत की कुल जनसँख्या: करीब 125 करोड़! अब लगा लीजिये अंदाज़ा! और यह तो वो है जो रेप के केस सामने आते हैं| जाने कितने केस तो जग-हँसाई और शर्मिंदगी की वजह से पुलिस तक पहुँचते ही नहीं और शादी के बाद होने वाले रेप यानि मैरिटल रेप का तो कोई बही-खता ही नहीं है!
सिर्फ़ इसलिए क्योंकि हमारी सरकार समझती है शादी के बाद शायद पत्नियों का धर्म है पति को ख़ुश रखना, चाहे उसके लिए रेप ही क्यों न करवाना पड़े!
पाकिस्तान की बात करें तो वहाँ हालात इस से भी बदतर हैं! 2013 में वहाँ 370 रेप हुए थे! आप सोच रहे होंगे कि यह तो कुछ भी नहीं है| लेकिन सच्चाई बहुत कड़वी है! असल में उस देश में शासकीय तौर पर रेप के केसेस को रिकॉर्ड करने का चलन ही नहीं है! जी हाँ, जो भी केस रिकॉर्ड होते हैं, वो असलियत का मात्र 5-10% ही हैं|
अव्वल तो महिलाएँ पुलिस के पास जाती ही नहीं हैं और अगर चली भी जाएँ तो उन्हीं का समाज उन्हें बदचलन क़रार कर देता है!
रेपिस्ट को सज़ा?
पहले तो कोई पकड़ा ही नहीं जाएगा, पकड़ा गया तो हँसते-हँसते छूट भी जाता है!
इस कहानी के ज़रिये मैं किसी भी देश को नीचे गिराने की कोशिश नहीं कर रहा लेकिन सिर्फ़ यह एक बहस छेड़ने की कोशिश कर रहा हूँ की आख़िर ऐसा हो क्यों रहा है?
जिस देश की औरतें सुरक्षित नहीं हैं, वो देश दुनिया पर राज करने की सोच रहे हैं? परमाणु युद्ध की धमकियाँ दी जाती हैं, फ़ौज के सज्जो-सामान पर अरबों खर्च कर दिए जाते हैं, दुनिया भर में अपने फ़ायदे के लिए कितनी ही मुहीमें चलायी जाती हैं लेकिन जहाँ औरतों की इज़्ज़त का सवाल आता है, वहाँ सब अपनी पूँछ दबाये सरक लेते हैं? ऐसा भी क्या दुनिया को जीतने का पागलपन जहाँ अपने घर की माँ-बहन को ढँग से पूछ नहीं सकते, उनका ख़याल नहीं रख सकते?
कब तक इस हैवानियत का नंगा नाच चलेगा और कब तक हम अपने देश के मर्दों को यह सिखाते रहेंगे कि औरतों को दबाना ही तुम्हारा काम है? वक़्त आ गया है कि लड़कों को बचपन से ही सिखाया जाए कि औरत की इज़्ज़त कैसे करनी है और कैसे अपनी पतलून जब मन किया, उतार नहीं लेनी! जानवरों से इंसान बनना ही पड़ेगा मर्दों को वरना अपनी चिता, अपनी कब्र ख़ुद ही तैयार करेंगे!
जब तक दोनों देशों में एक भी रेप या सेक्षुअल एब्यूज़ का मामला ज़िंदा रहता है, कोई हक़ नहीं इन्हें अपनी छाती ठोंक के अपनी सफलताएँ गिनवाने का!
शर्म से सर झुका के जियो और जिस दिन हर लड़की, हर औरत देश में सुरक्षित हो जाए, तब निकलना विश्व-विजय करने!