बाजीराव मस्तानी और दिलवाले.
साल की दो सबसे बड़ी फ़िल्में ना जाने क्या कारण था जो ये दोनों फ़िल्में एक ही दिन सिनेमाघरों में दर्शकों के सामने रूबरू हुई.
एक तरफ थे बॉलीवुड के बादशाह कहलाये जाने वाले शाहरुख़ खान तो दूसरी तरफ थे नवोदित रणवीर सिंह.
दिलवाले शुरुआत से ही लोगों में चर्चा का विषय बनी हुयी थी शाहरुख़ खान की मौजूदगी के अलावा इस फिल्म की चर्चा काजोल और शाहरुख़ की जोड़ी की वापसी और साथ में वरुण धवन और रोहित शेट्टी की वजह से भी थी.
वहीँ दूसरी और बाजीराव मस्तानी शुरू से विवादों में रही कभी बजट को लेकर कभी सितारों को लेकर तो कभी मराठा विरोध के चलते. इस फिल्म के बारे में भी लोगों में उत्सुकता तो थी जिसकी वजह थे निर्देशक संजय लीला भंसाली और उनके भव्य सेट.
इसके अलावा दीपिका पादुकोण और प्रियंका चोपड़ा को एक साथ देखने के लिए भी बहुत से लोग उत्सुक थे.
18 दिसम्बर को दोनों फिल्मे सिनेमाघरों में आई. जैसा ट्रेड पंडितों ने अनुमान लगाया था वैसा नहीं हुआ. पंडितों के अनुसार दिलवाले रिकॉर्ड तोड़ बिज़नस करने वाली थी और बाजीराव को मुश्किलें आने वाली थी. इसका एक कारण ये भी था कि दिलवाले को बाजीराव से ज्यादा सिनेमाघर मिले थे.
शुरुआत के तीन दिनों के व्यवसाय से ये स्पष्ट हो गया कि दिलवाले का बॉक्स ऑफिस पर सफ़र इतना आसान नहीं होगा, बाजीराव से शाहरुख़ को कड़ी टक्कर मिलने वाली है.
पहले तीन दिन में दिलवाले ने बाजीराव मस्तानी को कमी के मामले में काफी पीछे छोड़ दिया. लेकिन सोमवार से तस्वीर बदलनी शुरू हुई और बाजीराव कमी में दिलवाले से आगे बढ़ने लगी.
10 दिनों का व्यवसाय देखें तो अब दिलवाले करीब 124 करोड़ के आंकड़े पर है तो वही बाजीराव मस्तानी 121 करोड़ पर. इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत में बाजीराव मस्तानी दिलवाले से ज्यादा कमाई करेगी.
बाजीराव मस्तानी की इस सफलता ने सिद्ध कर दिया है कि जनता को अच्छी फ़िल्में ही चाहिए देखने के लिए. मसाला फिल्म के नाम पर बकवास बेसर पैर की फ़िल्में तभी कमाई करती है जब दर्शकों के पास देखने के लिए और कोई विकल्प नहीं होता है.
शाहरुख़ खान को भी अब ये समझना होगा कि कैरियर के इस पड़ाव में आकर अब उन्हें मसाला फिल्मों की जगह कुछ सार्थक फिल्मों में अभिनय करना चाहिए.
अब वो जिस मुकाम पर है वहां उन्हें ना पैसा कमाने की चिंता है ना फिल्म हित या फ्लॉप होने की… ऐसे में उन्हें अब नयी कहानियों में अभिनय करके अपनी अभिनय कला से दर्शकों को रूबरू करवाना चाहिए.
मसाला फिल्मों के नाम पर ये बेसर पैर की बेतुकी फिल्मे बनाना तभी बंद होगी जब बड़े से बड़े सितारे की उपस्थिति के बाद भी ऐसी बकवास फिल्मे सर के बल बॉक्स ऑफिस पर धराशायी होंगी.
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