रामसेतु से जुङे रहस्य – हकीकत और कल्पना में सिर्फ विश्वास का फासला होता है।
अगर यकीन करो तो हकीकत न करो तो कल्पना और ऐसी एक जंग आस्था और वैज्ञान के बीच बरसों से चली आई है ।
जिस चीज को धार्मिक लोग आस्था के नाम पर पूजते है उसमें से बहुत सी चीजों को विज्ञान विज्ञानिक तर्क देकर सासाइंस का एक खेल बताता है। लेकिन बहुत से विश्वास ऐसे है जिनके आगे विज्ञान ने भी घुटने ठेके है ।
रामसेतु से जुङे रहस्य –
हिंदु धर्म में नौ ग्रहों की जानकारी ऋग्वेद में बरसों साल पहले दे दी थी । जबकि वैज्ञानिको को इस बात का पता बहुत बाद में चला । और यही ही नही हमारे वेदों, पौराणिक कथाओं में लिखी बहुत सी चीजें आज भी ऐसी है जिनकी खोज विज्ञान भी नही कर पाया । हिंदू धर्म की सबसे पवित्र ग्रंथ रामायण जिसे ऋषि वाल्मीकि ने लिखा था। उसमें एक जगह रामसेतु की बात कही गई थी । जिसे भारत के रामेश्वरम द्वीप से श्रीलंका के मन्नार द्वीप तक बनाया गया था।
रामसेतु से जुङे रहस्य – इस रामसेतु की खोज जब तक वैज्ञानिको ने नही की थी । वो रामायण में लिखी इस बात को कल्पना कहते थे। रामसेतु के मिलने के बाद साइंटिस्ट इस बात की खोज में जुट गए कि ये सेतु कितने साल पुराना है। और क्या इसे रामायण काल के दौरान बनाया गया था। राष्ट्रीय समुद्री विज्ञान संस्थान के सलाहकार राजीव निगम ने हाल ही में बताया कि रामसेतु और रामायण काल टाइम बिल्कुल सेम है । इसका मतलब यह हुआ कि ग्रंथ में लिखी बात सच है कि रामसेतु को रामायण काल के दौरान बनाया गया था।
रामसेतु की इस रिसर्च को हिमालय भूविज्ञान संस्थान में जियो रिसर्च स्काॅलर्स मीट के दौरान रखा गया । वैज्ञानिको ने बताया कि इस बात का पता लगाने के लिए कि “रामसेतु और रामायण काल का या नही ” आनकी डेटिंग की जांच की गई । सबसे पहले वाल्मीकि की रामायण में दर्ज तारो की स्थिति के
जरिए रामायण के काल का पता चला । जो कि सात हजार साल पहले की टाइमिंग निकली । इसके बाद रामसेतु के पत्थरों और वहां के जलस्तर की जांच शुरू की गई ।जिसे पता चला कि रामसेतु सात हजार साल पहले पानी के ऊपर था । तब से अब तक पानी का जलस्तर तीन मीटर बढा है। और ये वही समय था जब वाल्मीकि रामायण के तारों की गणना के अनुसार रामायण युग था। वैज्ञानिको के अनुसार 7 हजार साल पहले रामसेतु पानी के ऊपर चूना पत्थर वाला पुल जैसा दिखता था।
ये है रामसेतु से जुङे रहस्य – यानी कि वैज्ञानिको ने खुद ये सिद्ध कर दिया कि भगवान राम का आस्तित्व था। और लंका जाने के लिए वानर सेना ने ही ये पुल बनाया था।