भारत देश का इतिहास काफी समृद्ध एवं प्राचीन रहा है। यदि आधुनिक मानव सभ्यता की बात करें तो हड़प्पा सभ्यता को दुनिया की सबसे पुरानी मानव बस्तियों में गिना जाता है। हड़प्पा सभ्यता से भी हजारों साल पहले के भारतीय इतिहास का विस्तृत वर्णन हमारे महाग्रंथों व पुराणों में नजर आता है। मौजूदा समय में सबूतों के अभाव में अधिकतर लोग रामायण व महाभारत में वर्णित घटनाओं को महज कल्पना करार देते हैं। इसके बावजूद समय-समय पर इन धार्मिक कथाओं की सत्यता को प्रमाणित किया जाता रहा है।
आयोध्या स्थित श्री राम की जन्मभूमि समेत ऐसे कई स्थान आज भी हमारे देश में मौजूद हैं जिनका विस्तृत ब्यौरा रामायण में मिलता है। इन जगहों का विश्लेषण करने के बाद सभी के मन में रामायण काल की घटनाओं को लेकर कई सवाल उमड़ते हैं, जिनका सटीक जवाब मिल पाना शायद अब सम्भव नहीं। यदि रामायण व महाभारत में वर्णित घटनाओं में थोड़ी भी सच्चाई है तो यह हमारे सोचने के तरीके व आने वाले भविष्य को पूरी तरह बदल कर रखने में सक्षम है। शायद यही वजह है कि गाहे-बगाहे लोग इन सवालों का जवाब ढूंढते नजर आते हैं।
आइए वर्तमान में मौजूद उन जगहों के बारे में जानते हैं, जिनका रामायण काल से सीधा सम्बन्ध रहा है।
रावण के द्वारा सीता माता के हरण के समय जटायू ने आसमान में रावण से युद्ध करते हुए अपनी जान गंवा दी थी। रामायण के अनुसार घायल अवस्था में जटायू इसी जगह जमीन पर आकर गिरे और अपनी अंतिम सांसें ली थी। आंध्रप्रदेश में स्थित इस जगह पर आज लेपाक्षी मंदिर मौजूद है।
श्रीलंका में मौजूद इस स्थान के बारे में कहा जाता है कि इसी जगह रावण वध के पश्चात माता सीता ने अग्नि परीक्षा दी थी। प्रचलित कथाओं के अनुसार जिस पेड़ के नीचे माता सीता ने अग्नि परीक्षा दी थी, वह आज भी यहां मौजूद है।
उत्तरप्रदेश स्थित हनुमान गढ़ी का जिक्र हमें पुराणों में भी मिलता है। कथाओं के अनुसार इसी जगह हनुमान जी ने भगवान श्री राम की प्रतीक्षा की थी।
रामायण की सत्यता को प्रमाणित करने वाले सबसे प्रमुख सबूत के तौर पर भारत व श्रीलंका को जोड़ते हुए राम सेतु का उल्लेख किया जाता है। तमिलनाडु में स्थित रामेश्वरम नामक जगह पर श्रीराम ने तैरते हुए पत्थरों का इस्तेमाल कर लंका तक पुल का निर्माण किया था, इसी पुल की सहायता से वानर सेना लंका में प्रवेश कर पाई थी।
अंतरिक्ष से खींची गई तस्वीरों में भी रामसेतु नजर आने की बात की जाती रही है। आज भी इस इलाके में आप पानी पर तैरते पत्थरों को देख सकते हैं।
रामायण में रामेश्वरम को काफी महत्व दिया गया है। ऐसा माना जाता है कि रावण वध के बाद ब्राह्मण हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए श्री राम ने स्वयं इस जगह पर ज्योतिर्लिंग की स्थापना कर अभिषेक किया था। आज भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने रामेश्वरम आते हैं।
सीता हरण के पश्चात रावण के द्वारा माता सीता को अशोक वाटिका में ही रखा गया था। अशोक वाटिका में जहां माता सीता रहा करती थीं, उस जगह आज सीता अम्मन मंदिर मौजूद है।
बिहार स्थित पुनौरा धाम को माता सीता का जन्मस्थल माना जाता है। हालांकि इस बात को लेकर मतभेद सामने आते रहे हैं। इस स्थान पर आज माता जानकी का खूबसूरत मंदिर भी स्थित है।
महाराष्ट्र के नासिक शहर के समीप रामायण में वर्णित पंचवटी तपोवन आज भी मौजूद है। रामायण के अनुसार भगवान श्री राम ने अपने चौदह वर्ष के वनवास के दौरान एक लंबा समय इसी जगह पर बिताया था। कहा जाता है कि लक्ष्मण जी ने इसी जगह पर सूर्पनखा की नाक काटी थी।
रामायण में वर्णित राम-रावण युद्ध के दौरान घायल हुए लक्ष्मण के उपचार हेतु हनुमान जी संजीवनी बूटी के लिए उत्तराखंड स्थित इसी द्रोणागिरी पर्वत को उठाकर लंका ले गए थे। इलाज के लिए आवश्यक औषधि मिल जाने के पश्चात इस पर्वत को हनुमान जी के द्वारा वापस इसकी जगह पर स्थापित कर दिया गया था। आज भी द्रोणागिरी पर्वत में इस घटना के निशान दिखाई देने के दावे किए जाते हैं।
इन सभी जगहों का विश्लेषण करने के पश्चात भी हम भले ही रामायण की सत्यता को पूर्णतः साबित नहीं कर सकते, लेकिन इसके अस्तित्व को पूरी तरह नकारा भी नहीं जा सकता है। यही वजह है कि आज भी अध्ययनकर्ताओं को रामायण की घटना व उससे जुड़े पुरातात्विक अवशेष काफी आकर्षित करते हैं।
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