राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद – अब अयोध्या में राम मंदिर और लखनऊ में बनेगी अमन मस्जिद बरसों से अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद को लेकर चला रहा विवाद अब पूरी तरह खत्म होता दिख रहा है।
हाल ही में शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद पर मसौदा पेश किया है। इस मसौदा के मुताबिक विवादित जमीन पर राम मंदिर का निर्माण किया जाए और मस्जिद को लखनऊ में बनाया जाए । हालांकि अब मुस्लिम समुदाय के अंदर ही शिया और सुन्नी सेंट्रल बोर्ड के बीच असहमति जताई जा रही है ।
दरअसल शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड लंबे वक्त से ये कहता रहा है कि विवादाति जमीन पर राम मंदिर बनाया जाए और मस्जिद जगह । क्योंकि मस्जिद को दूसरी जगह बनाया जा सकता है। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के मासौदा के मुताबिक अयोध्या में राम मंदिर बनाया जाए और मस्जिद लखनऊ के हुसैनाबाद के घंटाघर के पास शिया सेंट्रल वक्स बोर्ड की जमीन पर बनाया जाए और इस मस्जिद का नाम किसी शासक या मुस्लिम राजा के नाम पर नही बल्कि अमन की मस्जिद रखा जाए ।
शिया वक्फ सेंट्रल बोर्ड के इस मसौदे को सुप्रीम कोर्ट में जमा करवा दिया गया है । इस मसौदे में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद से जुङे कई लोगो ने इस मसौदे पर हस्ताक्षर किए जिसमें दिगांबर अखाङे के सुरेश दास , हनुमान गढी के धर्मदास, निर्मोही अखाङे के भास्कर दास , राम विलास वेदांती और नरेंद्र गिरी ने समर्थन देते हुए हस्ताक्षर किया।
लेकिन दिलचस्प बात यह है कि शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के इस मसौदे पर मुस्लिम पक्षकारों की कोई सहमति नही मिली । सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने इस पर पहले ही असहमति जातई थी । हालांकि अब फैसला सुप्रीम कोर्ट के हाथ में है कि वो इस विवादों को इस मसौदे के साथ हल करते हैं या फिर ये विवाद फिर से विवाद बनकर रह जाएगा । गौरतलब है कि शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड अयोध्या के राम मंदिर बाबरी मस्जिद विवाद में पार्टी नही है । शिया वक्फ ने इस विवाद में पार्टी बने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर करवाई थी ।
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से हाल ही में मीडिया ने राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद पर इस मसौदे को लेकर किए गए सवाल पर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इस विवाद का फैसला सुप्रीम कोर्ट करेगी। उनकी सरकार और वो इस विवाद में पार्टी नही है इसलिए वो इस पर कोई फैसला नहीं कर सकते ।