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विचित्र विधि से जन्म हुआ था राम, लक्ष्मण और अन्य पौराणिक महापुरुषों का!

आज के ज़माने में क्लोनिंग, सेरोगेसी या टेस्ट ट्यूब बेबी के ज़रिये बच्चे पैदा करने का किस्सा सुने तो कुछ अजीब नहीं लगता.

लेकिन अगर ये कहा जाए कि पुराने समय में भी ऐसी ही अद्भुत विद्याएँ मौजूद थी जिनकी मदद से बिना सम्भोग के संतान की प्राप्ति हो जाती है .

हमारे धर्मग्रंथों में ना जाने ऐसे कितने ही पौराणिक महापुरषों की कहानी है जिनका जन्म बिना सेक्स के हुआ है. आइये आपको बताते है ऐसे ही कुछ पौराणिक महापुरुषों के बारे में.

राम, लक्ष्मण, भारत, शत्रुघ्न

 रामायण के ये चार प्रमुख पात्र राजा दशरथ और उनकी तीन रानियों कौशल्या,कैकेयी और सुमित्रा की संतान थे. दशरथ के कोई संतान नहीं थी. संतान प्राप्ति के लिए उन्होंने श्रृंगी ऋषि से पुत्रकामेष्टि यज्ञ करवाया.

यज्ञ से प्रकट यज्ञ पुरुष ने एक पात्र दशरथ को दिया. उस पात्र के अवयव को दशरथ ने कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा में बाँट दिया. उस पत्र के अवयव से कौशल्या से राम,कैकेयी से भरत और सुमित्रा से लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म हुआ.

कौरव

  हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा महाकाव्य महाभारत कौरवों के बिना कभी पूरा नहीं हो सकता. राजा धृतराष्ट्र की संतानों का जन्म भी सम्भोग या सेक्स के द्वारा नहीं हुआ था. महर्षि वेदव्यास के आशीर्वाद से गांधारी को गर्भ ठहर गया था.

लेकिन जब दो वर्ष तक गर्भ ठहरा रहा तो उन्होंने गर्भ गिरा दिया. उनके गर्भ से निकले मांस पिंड को महर्षि वेदव्यास के कहे अनुसार घी से भर घड़ों में दाल दिया गया. इन्ही घड़ों में गांधारी की 100 संतानों का जन्म हुआ. इनमें 99 पुत्र और 1 पुत्री थी.

पांडव

पांच पांडवों का जन्म भी बिना सेक्स के हुआ था. राजा  पांडू  को शाप मिला था कि अगर उनका मैन वासनामय हुआ तो उनकी मृत्यु हो जाएगी. कुंती को देवताओं का वरदान था कि जिस देवता का वो आह्वान करेगी उन्हें उस देवता जैसा पुत्र प्राप्त होगा.

कुंती ने वो मंत्र पांडू की दूसरी पत्नी माद्री को बताया जिसके फलस्वरूप धर्म से युधिष्ठिर, वायुदेव से भीम और इंद्र से अर्जुन का जन्म हुआ. इसी प्रकार माद्री ने अश्विनी कुमारों का आह्वान किया जिससे उन्हें नकुल और सहदेव पुत्र रूप में प्राप्त हुए.

कर्ण

पांडू से विवाह के पूर्व ही कुंती को दुर्वासा ने देवताओं के आह्वान द्वारा पुत्र प्राप्ति का वरदान दे दिया था. कुंती ने कौतुहलवश सूर्य का आह्वान किया और कुंती को कर्ण पुत्र रूप में प्राप्त हुए. कर्ण का जन्म विवाहपूर्व हो गया था इसलिए कुंती ने कर्ण को नदी में बहा दिया.

हनुमान पुत्र मकरध्वज

हनुमान ब्रह्मचारी थे फिर भी उनके एक पुत्र था जिसका नाम मकरध्वज था. जब मेघनाथ ने हनुमान की पूँछ पर आग लगा दी थी तो उसके बाद हनुमान ने अपनी पूँछ से लंका का दहन कर दिया. लंका दहन के बाद हनुमान अपनी पूँछ पर लगी आग को बुझाने के लिए सागर में गए. उस समय हनुमान के शरीर से गिरी पसीने की बूँद से एक मछली गर्भवती हो गयी. उस मछली से मकरध्वज का जन्म हुआ. मकरध्वज के जन्म के बारे में हनुमान को तब पता चला जब वो राम और लक्ष्मण को बचने के लिए पाताल गए और वहां उनका सामना उनके ही पुत्र से हुआ.

देखा आपने ये थे हमारे पौराणिक ग्रंथों के वो महापुरुष जिनका जन्म बिना सेक्स के हुआ. अब इस बात में कितनी सच्चाई है और कितनी नहीं इसका अनुमान आप खुद ही लगाए. अगर ये सब कोरी कल्पना भी है तो मानना पड़ेगा कि धर्मग्रन्थ लिखने वाले बहुत ही कल्पनाशील लेखक थे.

Yogesh Pareek

Writer, wanderer , crazy movie buff, insane reader, lost soul and master of sarcasm.. Spiritual but not religious. worship Stanley Kubrick . in short A Mad in the Bad World.

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Yogesh Pareek

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