कर्ण
पांडू से विवाह के पूर्व ही कुंती को दुर्वासा ने देवताओं के आह्वान द्वारा पुत्र प्राप्ति का वरदान दे दिया था. कुंती ने कौतुहलवश सूर्य का आह्वान किया और कुंती को कर्ण पुत्र रूप में प्राप्त हुए. कर्ण का जन्म विवाहपूर्व हो गया था इसलिए कुंती ने कर्ण को नदी में बहा दिया.