रक्षा बंधन का त्यौहार हर भाई बहन के लिए बेहद खास होता है.
राखी का ये कच्चा भाई-बहन के रिश्ते को मजबूती प्रदान करता है.
इस बेहद ही खास दिन एक बहन अपने भाई की कलाई में राखी बांधती है और बदले में भाई जीवन भर अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देता है.
राखी की यह डोर जितनी पवित्र होती है उतनी ही ताकतवर भी.
इसी एक डोर की वजह से भरी सभा में कृष्ण ने द्रोपदी की लाज बचाई थी.
शास्त्रों के मुताबिक रक्षा बंधन के पर्व को मनाने की एक खास विधि है और उससे जुडा मंत्र भी है जो दिव्य और चमत्कारी भी है.
आइए जानते हैं रक्षा बंधन का रक्षामंत्र के बारे में
रक्षा बंधन के दिन सबसे पहले पूजा की थाल में राखी सजाकर अपने ईष्ट देव, भगवान गणेश, शिव और विष्णुजी को राखी अर्पण करें और इस खास मंत्र का उच्चारण करें.
मंत्र –
‘रक्षा करोतु शुभहेतुरेश्वारी, शुभ्यानिः भद्राणि भी हन्तु चापदः’
अब राखी से सजी उस थाल को लेकर भाई के सामने रखें और उसे तिलक लगाकर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए उसकी कलाई में राखी बांधें.
रक्षा बंधन का रक्षामंत्र –
‘येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः, तेन त्वां अभिबन्धामि रक्षे मा चल मा चल’
मन ही मन इस मंत्र का उच्चारण करते हुई भाई की कलाई पर राखी बांधते समय उसमें तीन गांठ लगाएं. ऐसा करने से भाई को यश, वैभव और सम्मान मिलता है और उसकी कभी हार नहीं होती है. वो जीवन में हमेशा जीतता रहेगा.
यह दोनों मन्त्र रक्षा बंधन का रक्षामंत्र है, जो भाई के जीवन की रक्षा करता है और हर विपति से भाई को बचाता है.
शस्त्रों के अनुसार राखी बंधने की यह सबसे उतम विधि है और इस मंत्र के साथ भाई को राखी बंधने से भाई का जीवन हमेशा सुखी और मंगलमय बना रहता है.
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