राजपूत शासक राणाकुम्भा – भारत का स्वर्णिम इतिहास पूरी दुनिया में मशहूर है। इतिहास में इस धरती पर ऐसे-ऐसे शूरवीरों ने जन्म लिया था कि उनके नाम से ही दुश्मनों की रूह कांप उठती थी।
भारतीय इतिहास के बारे में जितना भी जानो कम लगता है। ऐसा प्रतीत होता है कि भारत के प्राचीन इतिहास के बारे में जानने के लिए एक जन्म भी कम पड़ सकता है।
हम सभी जानते हैं कि भारत की राजगद्दी पर समय-समय पर कई राजवंशों और बादशाहों की हुकूमत रही है। इनमें से कुछ शूरवीर बने तो कुछ अपने साहस के दम पर शहीद हो गए। आज हम आपको इतिहास के एक ऐसे ही राजा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके जैसा ना कभी कोई हुआ है और ना ही कभी होगा। इस राजा के बारे में जानकर आपको भी हैरानी होगी।
कौन है वो राजा
जिस राजा के बारे में हम बात कर रहे हैं वो कोई और नहीं बल्कि राजपूत शासक राणाकुम्भा हैं। वह एक ऐसे राजपूत शासक थे जिन्होंने रणभूमि में एक भी युद्ध नहीं हारा। राणाकुम्भा का जन्म चित्तौड़ के राजा राणामोकल के घर हुआ था। उनके पिता भी एक प्रतापी और साहसी राजा था इसलिए वीरता तो उन्हें विरासत में मिली थी। राजा कुम्भा को सन् 1433 में मेवाड़ की राजगद्दी पर बैठाया गया था। राणाकुम्भा को अपनी प्रजा की बहुत चिंता थी और उन्होंने अपनी प्रजा की भलाई के लिए बहुत काम भी किए थे जिस वजह से वो अपने राज्य के लोगों के दिल में बस गए थे।
कीर्ति स्तंभ की स्थापना
आपको बता दें कि अपने शासनकाल के दौरान राणाकुम्भा ने चित्तौड़ में एक कीर्ति स्तंभ भी बनवाया था जिसे पूरी दुनिया में ख्यातिप्राप्त है। राणाकुम्भा ने अजमेर से कई बड़े क्षेत्रों में अपना झंडा फहराया। उन्होंनेदिल्ली के सुल्तान सय्यद मोहम्मद शाह से भी अपना लोह मनवाया। कहा जाता है कि उनके दुश्मनों ने उन्हें हराने के लिए कई बार चाल चली लेकिन हर बार उन्हें अपने इरादों में नाकामयाबी ही हासिल हुई।
नागोर की लड़ाई
वैसे तो राजा कुम्भा ने अपने जीवनकाल में कई युद्ध लड़े लेकिन उनकी सन् 1455 में की गई नागोर की लड़ाई सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस युद्ध में राजा कुम्भा ने नागोर के राजा को पराजित कर किसी और के हाथ में सत्ता सौंप दी थी लेकिन उसने भी राणा कुंभा के साथ छल किया और इसके बाद अंत में राणाकुम्भा ने ही नागोर पर कब्जा किया।
खिलजी से दुश्मनी
महमूद खिलजी को बहुत क्रूर शासक माना जाता था। उसने राणाकुम्भा के कई राज्यों पर अपना कब्जा कर लिया था लेकिन राणाकुम्भा ने अपने साहस से उन राज्यों पर वापिस से कब्जा पा लिया। खिलजी के मुंह में हाथ डालना किसी के लिए आसान बात नहीं थी।
राणाकुम्भा राजस्थान के ऐसे शासक बन गए थे जिन्हें दुनिया में कोई भी हरा नहीं सकता था। किसी में भी इतना सामर्थ्य नहीं था जो रणभूमि में उनका सामना कर सके किंतु दुर्भाग्यवश उनके ही बड़े बेटे उदासीन ने उन्हें मार दिया था। इस तरह दुश्मनों का हाल बेहाल करने वाले राणाकुम्भा को अपने ही बेटे के हाथों बेमौत मरना पड़ा।