राजीव गांधी के आखिरी 45 मिनट – 26 साल पहले भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का श्रीलंका के तमिल पृथ्कतावादी आत्मघाती हमले में देहांत हो गया।
एक चुनाव सभा में जब वो अपने समर्थकों से मिल रहे थे कि तभी एक महिला आई और उसने झुककर उनके पैर छूने की कोशिश की। तभी अचानक वहां एक जोरदार धमाका हुआ और उन्हीं चंद सैंकेडों में भारतीय राजनीति की दशो-दिशा बदल गई।
राजीव गांधी के आखिरी 45 मिनट
21 मई 1991 को रात करीब 8 बजे जब राजीव गांधी विशाखापत्तनम से मद्रास जाने के लिए तैयार हो रहे थे, तभी विमान के कैप्टन ने राजीव गांधी को विमान के हालात बताते हुए कहा कि विमान की संचार व्यवस्था काम नहीं कर रही है। यह सुनने के बाद राजीव गांधी ने चेन्नई जाने का विचार त्याग दिया और गैस्ट हाउस के लिए रवाना हो गए। लेकिन अभी वो आधे रास्ते में ही थे कि पीछे से बाइक पर सवार एक पुलिस वाले ने गाड़ी के आगे आकर कहा- सर आपका विमान ठीक हो गया है, अब अगर आप चाहे तो यात्रा कर सकते है। राजीव को खबर सुन खुशी हुई और वह अपनी यात्रा पर जाने के लिए एक बार फिर से तैयार हो गए।
सुबह करीब 6 बजे उन्होंने ने अपने विमान के साथ उड़ान भरी, आपको बतां दे कि इस विमान को प्रधानमंत्री राजीव गांधी खुद उड़ा रहे थे। विमान ने ठीक 8 बजकर 20 मिनट पर मार्गाथन में लैंड किया। जिसके बाद राजीव बुलटप्रुफ गाड़ी में बैठकर मार्गाथन से श्रीपेरंबदूर के लिए रवाना हुए। 10 बजकर मिनट पर वह श्रीपेरंबदूर की सभा में पहुंचे।
श्रीपेरंबदूर की सभा में मौजुद सभी पुरूषों से मिलने के बाद उन्होंने महिलाओं का रूख किया।
तभी लगभग 30 साल की एक काली, नाटी और गठीली लड़की हाथ में चंदन का हार लिये राजीव गांधी की तरफ आ रही थी। ये बेहद आम बात थी कि देश के प्रधानमंत्री को एक लड़की हार पहनाने आ रही थी। किसी ने विरोध भी नहीं किया। तभी एकाएक लड़की हार लिए राजीव गांधी के बेहद करीब आ गई और जैसे ही वह उनके पैर छुने के लिए झुकी, वैसे ही कानों को बहरा कर देने वाला एक जोरदार धमाका हुआ। उस समय मंच पर राजीव गांधी के सम्मान में एक सगींत बज रहा था, जो धमाके के बाद सन्नाटें में बदल गया। अब सभा के चारों तरफ लोगों की चीखे सुनाई दे रही थी।
श्रीपेरंबदूर में उस भयंकर धमाके के समय तमिलनाडू कांग्रेस के तीनों चोटी के नेता जी के मूपनार, जयंती नटराजन और राममूर्ति मौजूद थे।
जब धुआँ छटा तो राजीव गांधी की तलाश शुरू हुई। उनके शरीर का एक हिस्सा औंधे मुंह पड़ा हुआ था। उनका कपाल फट चुका था और उसमें से उनका सिर निकल कर उनके सुरक्षा अधिकारी पीके गुप्ता के पैरों पर गिरा हुआ था। जोकि खुद ही अपनी अतिंम घड़िया गिन रहे थे। बाद में मूपनार ने एक जगह लिखा… “जैसे ही धमाका हुआ लोग दौड़ने लगे, मेरे सामने क्षत-विक्षत हुए कई शरीर पड़े हुए थें, और राजीव के सुरक्षा अधिकारी प्रदीप गुप्ता अभी जिंदा थे। उन्होंने मेरी तरफ देखा…और कुछ बुदबुदाते हुए मेरी आखों के सामने उन्होंने दम तोड़ दिया”
अब खोज शुरू हुई राजीव गांधी की… जो कि उन पड़े मांस के टुकड़े और शवों के बीच ही कई टुकड़ों में मिला। उनके शव की पहचान उनके लोटो के जूते और उनकी गुच्ची घड़ी से की गई। चूकी धमाका इतना जोरदार था कि किसी भी शव की पहचान करना नामुमकिन था।
राजीव गांधी के शव को दिल्ली लाने की तैयारी शुरू की गई। 10 बजकर 25 मिनट पर देश के प्रधानमंत्री का शव दिल्ली के राजीव निवास लाया गया। जनपथ में चारों ओर सन्नाटा छाया हुआ था।
ये थे राजीव गांधी के आखिरी 45 मिनट –
राजीव गांधी के आखिरी 45 मिनट – राजीव जानते थे कि वो मरने वाले है
इंदिरा गांधी के प्रधान सचिव रहे पीसी एलेक्ज़ेडर ने अपनी किताब “माई डेज विद इंदिरा गांधी” में लिखा है कि इंदिरा गांधी की हत्या की कुछ के कुछ घंटे पहले उन्होंने ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट के गलियारे में सोनिया और राजीव को आपसे में बहस करते हुए देखा था। राजीव गांधी सोनिया को बता रहे थे कि पार्टी चाहती है कि वो प्रधानमंत्री पद की शपथ ले… इस पर सोनिया ने झल्लाते हुए कहा कि हरगिज नहीं… वो लोग तुम्हें भी मार डालेंगे।
सोनिया कि इस बात का जवाब देते हुए राजीव ने कहा था… “मेरे पास कोई विक्लप नहीं है सोनिया, वो लोग मुझे वैसे भी मार डालेंगे” और सात वर्ष बाद उनके कहे शब्द सही साबित हुए।
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