अपनी मातृभूमि से सच्चे प्यार की अगर कोई दास्ताँ आपको पढ़नी हो तो आप राजा दाहिर का इतिहास उठाकर पढ़ सकते है.
अगर वो चाहता तो कब का अपनी जान बचाकर कहीं और अपना साम्राज्य फैला सकता था. उसको पता था कि एक न एक दिन इसको युद्ध भूमि में मरना ही होगा और शायद तब उसके परिवार पर अत्याचार किये जाये.
लेकिन अपनी धरती से राजा दाहिर को इतना प्यार था कि उसने युद्ध भूमि में अपना बलिदान दे दिया किन्तु अपनी भूमि को वह छोड़कर नहीं गया था.
32 साल तक उसने दुश्मनों को आगे नहीं बढ़ने दिया था
यह कहानी महान हिन्दू राजा दाहिर की है जिसने 32 साल तक मोहम्मद बिन काशिम को सिन्ध से ही आगे नहीं बढ़ने दिया था.
बिन काशिम एक लुटेरा था जो अरब से भारत लूट के इरादे से आना चाह रहा था. भारत के अधिकतर राजों को इसकी भनक लग चुकी थी किन्तु कोई भी राजा दाहिर की मदद के लिए आगे नहीं आ रहा था. ऐसे में अकेले इस बहादुर ने अपनी मातृभूमि की रक्षा का प्रण लिया था.
आज जो भी जिंदा लोग हैं वह शायद ही इस राजा का नाम जानते होंगे. कहते हैं कि जब अंतिम युद्ध हुआ था तो इस राजा का दुष्प्रचार इसके राज्य में किया गया था. इसके अपने साथियों ने राजा को धोखा दिया था और अंत में राजा दाहिर की मृत्यु के बाद ही दुश्मन मोहम्मद बिन काशिम देश में घुसा था.
महाराजा दाहिर को 7 राज्य की सता संभालते समय ही कई प्रकार के विरोधों का सामना करना पड़ा था. उस समय गुर्जर, जाट और लोहाणा समाज उनके पिता द्वारा किए गए शासन से नाराज थे तो ब्राह्मण समाज बौद्ध धर्म को राजधर्म घोषित करने के कारण से नाराज था. मगर राजा दाहिर ने सभी समाजों को अपने साथ लेकर चलने का संकल्प लिया. आगे चलकर महाराजा दाहिर ने सिंध का राजधर्म सनातन हिन्दू धर्म को घोषित कर ब्राह्मण समाज की भी नाराजगी दूर कर दूरदर्शिता का परिचय दिया था.
कहते हैं कि राजा की मौत के बाद उसकी पत्नी ने कई दूसरी औरतों के साथ जौहर कर लिया ताकि कोई भी अरबी उनके मृत शरीर से भी बलात्कार न कर सके.
जब अपनी बहन से ही कर ली थी शादी
इतिहास में राजा दाहिर के नाम यह कहानी भी दर्ज है कि जब वह राजा बना था तो पंडितों ने बोला था कि राजा आपके सामने एक ही समस्या है कि आपकी बहन का पति आपको मारकर आपकी गद्दी पर कब्ज़ा करेगा.
यह बात राजा को परेशान करने लगी थी तो पंडितों ने ही राजा को सलाह दी थी कि वह अपनी बहन से विवाह कर ले किन्तु रिश्ता पति-पत्नी का नहीं होगा, रिश्ता बहन-भाई का ही होगा.
जब मारा गया राजा दाहिर
उस समय का राजा दाहिर सबसे बड़ा राजा बोला जाता है किन्तु अपने साथियों के छल से सन 712 ई. में एक भयंकर युद्ध हुआ था इस युद्ध में छल-कपट से राजा को मार दिया गया था. यहाँ पर राजा दाहिर का इतिहास खत्म हो जाता है.
बाद में बहुत कम ही लेखकों ने राजा दाहिर के इतिहास को कलम के जरिये उतारने की कोशिश की है. लेकिन यह एक महान राजा था जो सदियों तक भारत माता की रक्षा के लिए लड़ता रहा था.