उत्तरप्रदेश वैसे तो सबसे बीमारू और पिछड़े राज्यों में गिना जाता हैं लेकिन राजनीति का केंद्र भी इसे ही कहा जाता हैं.
इस राज्य ने जहाँ कई बेहतरीन और ईमानदार नेता इस देश को दिए हैं तो ऐसे कई नेता भी दिए हैं जो राजनीति में लगे एक बदनुमा दाग से ज्यादा कुछ नहीं हैं.
अगर राजनीति में आप की ज़रा सी भी दिलचस्पी हैं, तो बाहुबली नाम का शब्द आप लोगों ने सुना ही होगा जिसका मतलब होता हैं कि ऐसा नेता जो सफ़ेद पोशाकों में सामान्य नेता लगते हैं, लेकिन असल में होते तो वह एक गुंडे हैं.
कई तरह के आरोप से लदे, उनके व्यक्तित्व में आये दिन कोई न कोई आरोप ऐसे जुड़ जाता हैं कि जैसे गुनाह की शुरुआत इनसे ही होती हैं.
ऐसे ही एक बाहुबली रघुराज प्रताप सिंह उर्फ़ “राजा भैय्या” उत्तरप्रदेश की राजनीति में फिर से खबरों में आ गए हैं.
राजा भैय्या प्रतापगढ़ से विधायक रह चुके हैं और अभी वहां की वर्तमान सरकार में कैबिनेट मंत्री के पद पर भी नियुक्त हैं. मार्च 2013 में एसपी जिया उल हक़ हत्याकांड में सीबीआई की गिरफ्त में आये थे, जिसके चलते उन्हें अपने मंत्रीपद से इस्तीफा देना पड़ा था लेकिन क्लीनचिट मिलते ही राजा भैय्या फिर से अपने पद पर वापस आ गए थे. परन्तु ऐसा लगता हैं कि उन्हें विवादों के साथ रहने की आदत हो गयी हैं.
कुछ दिन पहले मुस्लिमों के धार्मिक पर्व मुहर्रम में हुई एक घटना के बाद वह फिर से सुर्ख़ियों में आ गए हैं. अपने घर गीतापाठ के कारण मुहर्रम जुलुस रोक दिया गया.
दरअसल पूरा मामला यह था कि क्षेत्र कुंडा में मुस्लिम समुदाय में मनाया जाने वाला पर्व मुहर्रम का ताजिया जुलुस निकलना था और कहा जाता हैं कि वह इलाक़ा रघुराज प्रताप सिंह यानि राजा भैय्या का हैं और इस क्षेत्र में राजा भैय्या की दबंगई का इतना ज़ोर हैं कि मुस्लिमो का ताजिया जुलुस नहीं निकल पाया. जुलुस न निकल पाने की वजह से उस क्षेत्र के मुस्लिम समुदाय के लोगों में गुस्सा भरा हैं.
इन सब से इतर आप जब जुलुस न निकाले दिए जाने की वजह जानेंगे तो हैरान हो जायंगे. असल में जिस दिन मुहर्रम का जुलुस निकलना था उसी दिन राजा भैय्या के घर में गीतापाठ भी चल रहा था और सिर्फ इसी वजह से एक रात पहले तैयार किये गए मुहर्रम के जुलुस को निकलने नहीं दिया गया.
आम आदमी से राजा भैय्या के खिलाफ कहने की उम्मीद करना तो फालतू हैं, लेकिन इस बाहुबली की दबंगई का आलम यह हैं कि उस क्षेत्र का प्रशासन भी इस हरकत के ख़िलाफ़ कोई कदम नही उठाया. सरकार और प्रशासन के सुस्त रविय्ये के कारण मुस्लिम समुदाय के लोगों में ज़बरदस्त गुस्सा भरा हैं, लेकिन सरकार ने सभी लोगों से यही अपील किया हैं कि माहौल को शांत बनाये रखने में प्रशासन की सहायता करे और किसी भी तरह की अफवाह में ध्यान न दे.
सरकार द्वारा की गयी यह अपील सही हैं, लेकिन मुख्य सवाल तो यह हैं कि सरकार ने बात इतनी आगे बढ़ने ही क्यों दी कि एक छुटभैय्ये नेता की गुंडई इस कदर बढ़ गयी कि आम लोग के साथ अफसर भी उससे सवाल करने से डरते हैं?
वो देश की कानून व्यवस्था को तांक में रख कर आये दिन अपनी मनमानी करता हैं और सभी लोग मूक दर्शक बन कर देखते रहते हैं.
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