अच्छे दिन चुनावी जुमला था.
डिजिटल इंडिया फेल हो गया.
इस सरकार से बुरी सरकार कभी आई नहीं.
देश में असहिष्णुता इतनी बढ़ रही है कि अब इस देश में रहना मुश्किल हो गया है.
ये और इस तरह की तमाम बातें हम सब रोज़ ही समाचार चैनलों में और सोशल मीडिया पर देखते रहते है.
ऐसी बातों को कहने वाले इतने उग्र होते है कि अगर आप उनसे थोड़े से भी तर्क और फैक्ट्स के साथ बात करो तो या तो आपको अंध भक्त कह दिया जाएगा या गालियाँ भी पड़ सकती है.
आइये आज आपको बताते है क्या सही में ये सब कुछ जो सोशल मीडिया में फैलाया जा रहा है वो सच है या फिर एक साज़िश.
सुषमा स्वराज दुसरे देशों में फंसे भारतीय नागरिकों को बचाने में जिस त्वरित गति से कार्य करती है ये बात तो अब सब जान गए है.
दुनिया के किसी भी कोने से में फंसे भारतीय की मदद तत्काल की जाती है. चाहे यमन या इराक में फंसे सैंकड़ों लोग हो या अफ्रीका में मुसीबत में कोई एक भारतीय. सबके बचाव और उन्हें भारत लाने के समुचित प्रबंध किये जाते है.
लेकिन आज हम यहाँ बात विदेश मंत्रालय की नहीं करेंगे. आज बात करेंगे रेल मंत्रालय की. कैसे सुरेश प्रभु ने जी जान लगाकर रेल विभाग की कार्यप्रणाली और छवि सुधारने के लगातार प्रयास किये है.
रेलवे की वेबसाइट जो अपनी गति और टिकिट बुकिंग क्षमता की वजह से बदनाम थी और शुरू होने के बाद से ही नुक्सान में चल रही थी.
उसका कायापलट होने की शुरुआत हो चुकी है. पहले जहाँ टिकिट बुकिंग क्षमता 2000 थी वही अब बढ़कर 7200 हो गयी है.वेबसाइट की गति में भी उल्लेखनीय परिवर्तन हुआ है. सबसे बड़ी बात ये है कि घाटे में रहने वाला IRCTC पहली बार 130 करोड़ के मुनाफे में आया है.
कहने को तो ये छोटा बदलाव है लेकिन इससे पता चलता है कि छोटा ही सही पर बदलाव की शुरुआत हो चुकी है.
एक और नयी शुरुआत हुई है वो ये है कि अब रेलवे के डिब्बों में सफाई का समुचित ध्यान रखा जाने लगा है.
किसी भी शिकायत पर कार्यवाही की जाती है. स्टेशन भी पहले की अपेक्षा साफ़ सुथरे दिखते है. यात्रा के बाद यात्रियों को रेलवे की तरफ से फीडबैक के लिए फ़ोन भी आने लगा है. ये छोटे छोटे बदलाव भी काफी महत्वपूर्ण है.
ऊपर बताये गए सुधारों के अलावा दो प्रमुख घटनाओं ने भारतीय रेल और रेल मंत्रालय की साख और बढ़ा दी है.
इनमें से पहली घटना बीते गुरुवार की है जब शालीमार-मुबई एक्सप्रेस से यात्रा कर रही नम्रता महाजन को उनका एक पुरुष सहयात्री परेशान करने लगा. आसपास कोई सहायता ना पाकर नम्रता ने रेल मंत्री सुरेश प्रभु के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर ट्वीट के जरिये मदद मांगी.
नम्रता को आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा जब मंत्रालय से तुरंत जवाब आया. उनसे उनकी गाडी और कोच के बारे में जानकारी मांगी गयी.
पूरी जानकारी देने के 40 मिनिट के भीतर ही नम्रता की सहायता मिल गयी.
उन्हें परेशान करने वाले पुरुष यात्री को पकड लिया गया. इसी तरह कुछ दिन पहले भी एक लड़की जो अकेली यात्रा कर रही थी उसने अपने भाई की सहायता से ट्रेन में परेशां किये जाने की शिकायत की. शिकायत के कुछ ही देर में मंत्रालय ने त्वरित कार्यवाही की.
ट्विटर से रेल मंत्रालय द्वारा सहायता की दूसरी घटना में एक पुत्र अपने बीमार पिता के साथ सफर कर रहे थे.
पंकज जैन नामके इस व्यक्ति ने रेल मंत्रालय को ट्वीट करके सहायता मांगते हुए कहा कि क्या मेड़ता स्टेशन पर ट्रेन 3 की जगह 10 मिनिट के लिए रुक सकती है और क्या ट्रेन के पास एक व्हीलचेयर का इंतजाम हो सकता है उनके बीमार पिता के लिए.
रेलवे मंत्रालय ने तत्काल कार्यवाही करते हुए पंकज के बीमार पिता के लिए स्टेशन पर न सिर्फ व्हील चेयर का इंतजाम किया अपितु पंकज की इच्छा के अनुसार ट्रेन को 10 मिनिट तक रुकवाया.
जिससे उनके पिता को बिना किसी तकलीफ के ट्रेन से उतारा जा सके. जब ट्रेन स्टेशन पहुंची तो पंकज के कोच के सामने रेलवे के अधिकारी और सहायता करने के लिए कुली व्हील चेयर के साथ खड़े थे.
ये था वो ट्वीट जिसमे पंकज ने अपने पिता के लिए सहायता मांगी थी.
देखा आपने जहाँ एक ओर सोशल मीडिया और समाचार चैनल छोटी छोटी घटनाओं को भी मज़हबी रंग फैला कर देश का माहौल खराब कर रहे है वही सुरेश प्रभु जैसे मंत्री आम आदमी से ना सिर्फ सीधा संवाद स्थापित कर रहे है अपितु सिस्टम में परिवर्तन लाकर समस्याओं का तत्काल समाधान करने के लिए भी तत्पर है.
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