क्या केंद्र की सरकार राहुल गाँधी से दर रही है?
राहुल गाँधी अगर जेएनयू के मुद्दे को संसद में उठाना चाहते हैं तो कौन इनको ऐसा करने से रोक रहा है?
बीते दिनों राहुल गाँधी ने यह बोला कि सरकार मुझसे डर रही है इसलिए संसद में मुझे बात नहीं करने दिया जा रहा है.
यह बात तो सही है कि सबको बोलने का अधिकार है लेकिन इस आजादी का यह मतलब कतई नहीं है कि आप देशद्रोह और देश को गाली देने वाले लोगों का समर्थन करें. अगर राहुल ऐसा करते हैं तो इससे सिद्ध होता है कि राहुल गाँधी में देश के प्रति प्रेम खत्म हो चुका है या हो सकता है वह प्रेम था ही नहीं.
आपको यहाँ बताते चलें कि हमको यहाँ इतने कड़े शब्दों का प्रयोग इसलिए करना पड़ रहा है क्योकि जिस मुद्दे पर सभी पार्टियों और नेताओं को एक होना था वहां सभी राजनीति कर रहे हैं. देश की राजधानी में नारे लगते हैं. आतंकवादियों को शहीद घोषित किया जाता है. ना जाने किस तरह की आजादी की मांग की जाती है लेकिन राहुल गाँधी और उनकी पार्टी बोलती है कि बोलने की आजादी का हनन हो रहा है. तो यहाँ इनको कोई समझाये कि बोलने की आजादी का मतलब यह नहीं है कि आप देश को गाली दें.
अभी यह काम किसी और देश में होता तो सरेआम फांसी हो रही होती.
लेकिन यह भारत देश है कि यहाँ सब सहन हो जाता है.
बड़े शर्म की बात है कि देश की इतनी बड़ी पार्टी कांग्रेस ने एक बार भी इस बात की निंदा नहीं की. यह बहुत अजीब लग रहा है. या तो इस पार्टी में देश प्रेम नहीं है या सीधे और साफ़ पता चल रहा है कि विदेशी मूल की पढ़ाई यहाँ नजर आ रही है.
शायद राहुल गाँधी को याद दिलाना होगा कि अगर महात्मा गाँधी जी आज होते तो इस बात को कतई भी सहन नहीं किया होता. जो लोग देश प्रेम और देश भक्ति की बातें कर रहे हैं आप उनको एक खास नाम से बुला रहे हैं. आपकी इन बातों से लग रहा है कि देश जैसे फिर से गुलाम हो गया है और देश को गाली देना अब अपराध नहीं रह गया है.
दूसरी तरफ अगर हम दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को देखें तो यह केजरीवाल एक देशभक्त से राजनेता में तब्दील होता साफ़ दिख रहा है. हाथों में देश झंडे लेकर जो देश हित की बातें कर रहा था वह इस मुद्दे पर एक बार भी यह नहीं बोलता है कि देश को गाली किसी भी हालत में सहन नहीं की जानी चाहिए.
केजरीवाल बोलते हैं कि मोदी आप छात्रों के पंगा ना लें.
यह बड़े शर्म की बात है कि यह छात्र अगर देश को गाली दें तो कोई उन पर कार्यवाही ना करे.
अभी सभी पार्टियों को अपने अन्दर झांक कर यह देखना चाहिए कि क्या उनमें जरा भी देशप्रेम और देशभक्ति बची हुई है क्या? अन्यथा इन जैसे नेताओं के क़दमों पर अगर यह देश चला तो जल्द ही यह एक हिंसक और गुलाम देश बन जायेगा. आप लोगों का क्या है विदेशों में रहना तो आपको पसंद ही है.
(यह विचार लेखक के निजी विचार हैं)
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