ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक कुंडली में नौ ग्रह होते हैं जिनमें से राहु-केतु की गिनती छाया ग्रह के रुप में की जाती है. ये दोनों ही ग्रह पापी ग्रहों की श्रेणी में आते हैं.
इन दोनों ग्रहों का अपना कोई अस्तित्व नहीं होता, इसीलिए ये जिस ग्रह के साथ बैठते हैं उसी के अनुसार अपना प्रभाव देने लगते हैं.
कहा जाता है कि राहु सिर है तो केतु धड़ है.
आपके धड़ के ऊपर के हिस्से में किसी प्रकार की स्वास्थ्य की शिकायत है तो ये राहु का प्रकोप हो सकता है. अगर धड़ के निचले हिस्से से लेकर पैर तक कोई भी विकार हो तो हो सकता है इसके लिए केतु जिम्मेदार हो.
राहु और केतु की कहानी
एक पौराणिक कथा के अनुसार सागर मंथन से निकले अमृत के वितरण के समय एक दैत्य अपना स्वरूप बदलकर देवताओं की पंक्ति में बैठ गया और देवताओं को चकमा देकर उसने अमृत पान कर लिया.
हालांकि उसकी ये चालाकी सूर्य और चंद्र देव से छुप नहीं सकी.
इस छल का दंड देने के लिए भगवान विष्णु ने चक्र से उस दैत्य का मस्तक काट दिया.
अमृत पी लेने की वजह से उस दैत्य के शरीर के दोनों हिस्से अलग होने के बाद भी जीवित रहे. तब से उस दैत्य का सिर वाला भाग राहू और धड़ से नीचे वाला भाग केतु के नाम से मशहूर हुआ.
इस तरह से राहु और केतु का जन्म हुआ.
राहु और केतु दोनों ही मिलकर कुंडली में काल सर्पयोग का निर्माण भी करते हैं. दोनों ग्रह अगर किसी की कुंडली में अशुभ दशा में हो तो इसका बुरा प्रभाव भुगतना पड़ सकता है.
राहु के दुष्प्रभाव
राहु के उपाय
केतु के दुष्प्रभाव
केतु के उपाय
राहु और केतु जब नाराज़ हो जाते हैं तो वो इंसान के जीवन को बद से बदतर बना देतें हैं. इसलिए अगर आपकी कुंडली में राहु और केतु नाराज़ होकर बैठें हैं तो बिना समय गंवाएं उन्हें मनाने के लिए इन उपायों को ज़रूर करें.
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