सच्चे प्यार की जब भी बात होती है तो सबसे पहले भगवान श्रीकृष्ण और राधा का अलौकिक प्रेम याद आता है।
श्रीकृष्ण और राधा की प्रेमकहानी तो बहुत मशहूर है, लेकिन क्या श्रीकृष्ण से राधारानी से कभी शादी की थी या नहीं इस बारे में बहुत कम जानकारी मौजूद है. कृष्ण की शादी रुक्मणी से हुई थी, मगर कुछ तथ्य ऐसे हैं जो ये बताते हैं कि कृष्ण ने राधा से भी शादी की थी.
राधा-कृष्ण के विवाह का जिक्र श्रीगर्ग-संहिता में है. श्रीगर्ग-संहिता महर्षि गर्ग ने लिखी थी. यह ग्रंथ मुख्य रूप से भगवान श्रीकृष्ण के जीवन पर आधारित है. इसे अलग-अलग खंडों में बांटा गया है, जिनमें श्रीकृष्ण के जन्म से लेकर गो-लोक गमन तक की हर घटना का विस्तार में जिक्र किया गया है.
श्रीगर्ग-संहिता के गो-लोक खण्ड में इसका पूरा ब्यौरा है. इसमें उनके विवाह स्थल से लेकर समय, परिस्थिति तक हर बात का वर्णन विस्तार में किया गया है. श्रीगर्ग-संहिता के अनुसार, एक दिन नंदबाबा बालक श्रीकृष्ण को गोद में लिए घूम रहे थे. घूमते हुए वे दोनों भाण्डीर जंगल पहुंच गए. वहां पहुंचते ही भगवान कृष्ण ने अपनी माया से आधी-तूफान का वातावरण बना दिया.
भगवान श्रीकृष्ण की इच्छा से वन में बहुत तेज तूफान आने लगा, जिसे देखकर नंदबाबा बहुत डर गए. वे श्रीकृष्ण को गोद में लेकर एक पेड़ के नीचे खड़े हो गए और भगवान को याद करने लगें. उसी समय वहां देवी राधा आ गईं. नंदबाबा, श्रीकृष्ण और देवी राधा के भगवान का अवतार होने की बात जानते थे. वे देवी राधा को देखते ही हाथ जोड़ कर उनकी स्तुति करने लगे. कुछ समय बाद नंदबाबा बालरूपी भगवान कृष्ण को देवी राधा के हाथों में सौंपकर वहां से चले गए. नंदजी के जाते ही श्रीकृष्ण ने अपना दिव्यरूप धारण कर लिया और वो दोनों वन में घूमने लगे.
भगवान ब्रह्मा ने करवाया विवाह
तभी वहां भगवान ब्रह्मा का गए. भगवान ब्रह्मा ने अग्नि की स्थापना करके स्वयं राधा-कृष्ण का विवाह करवाया था. श्रीगर्ग-संहिता के अनुसार, राधा-कृष्ण के विवाह में सभी देवी-देवताओं ने भाग लिया था. विवाह के बाद भगवान कृष्ण ने दोबारा अपना बालरूप धारण कर लिया और अपने घर चले गए.
आज भाण्डीर वन उत्तरप्रदेश के मथुरा जिले में मौजूद है.
मधुरा से यहां की दूरी लगभग 20 कि.मी. है. राधा-कृष्ण से संबंधित होने के कारण इस जगह को बहुत पवित्र माना जाता है. भाण्डीर वन में जिस पेड़ के नीचे राधा-कृष्ण का विवाह हुआ था, वो आज भी वहां मौजूद है. उस पेड़ के नीचे राधा-कृष्ण के साथ भगवान ब्रह्मा की मूर्ति स्थापित है. साथ ही वहां लगी एक सूचना-पट्टी पर विवाह का पूरा वर्णन भी लिखा हुआ है.
चूकि श्रीकृष्ण और राधा दोनों ही देवता और देवी के अवतार थे इसलिए उनका विवाह भी सामान्य तरीके से नहीं, बल्कि अलौकिक तरीके से हुआ. लोगों के लिए भले ही रुक्मणि श्रीकृष्ण की पत्नी थी, लेकिन उनका राम तो हमेशा राधा के साथ ही ज़ुड़ा रहा, तभी तो लोग कहते हैं राधे-कृष्ण.
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