राधा और कृष्ण का प्रेम बहुत महान और पवित्र था. तभी तो आज भी उनके प्यार की मिसाल दी जाती है. राधा और कृष्ण जैसा प्यार आज तक किसी ने नहीं किया होगा, मगर इतना प्यार होने के बावजूद वो एक नहीं हो सके. राधा कभी कृष्ण की पत्नी नहीं बन सकी. आखिर ऐसा क्यों हुआ.
राधा और कृष्ण का प्रेम और उनकी कहानी तो बचपन में ही शुरू हो गई थी. हालांकि उम्र में राधा, कृष्ण से बड़ी थीं, बावजूद इसके कृष्ण और राधा के बीच प्रेम पनपा. उनके विवाह को लेकर भी कई तरह की कहानियां पढ़ने को मिल जाती है.
पुराणों के अनुसार, माँ लक्ष्मी ने राधा के रूप में धरती पर अवतार लिया था. चूंकि लक्ष्मी जी ने स्वयं इस बात का प्रण किया था कि वे हर अवतार में विष्णु जी से ही विवाह करेंगी. भगवान विष्णु के अलावा किसी और से उनका विवाह नहीं होगा. ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि लक्ष्मी जी की अवतार राधा का विवाह विष्णु जी के अवतार कृष्ण से ही हुआ होगा.
गर्ग संहिता के अनुसार, कृष्ण बाल्यकाल अवस्था में नंद बाबा की गोद में खेल रहे थे. उसी दौरान उन्हें एक अद्भुत शक्ति का आभास हुआ जो कोई और नहीं बल्कि राधा थीं. इसके बाद कृष्ण ने बाल अवस्था को छोड़ यौवनावस्था को धारण कर लिया था. इसी समय बृह्मा जी ने कृष्ण और राधा का विवाह करवाया था. विवाह होने के बाद सब कुछ सामान्य हो गया. बृह्मा जी और राधा जी भी अंतरध्यान हो गए. इसके बाद कृष्ण भी अपने बाल रूप में वापस लौट गए.
पौराणिक कथाएं ये भी कहती हैं कि राधा और रुक्मणी एक ही थीं. जैसे राधा हमेशा से कृष्ण की दीवानी थीं बिल्कुल वैसे ही रुक्मणी भी कृष्ण को जीवनसाथी बनाने के सपने देखती थीं. हालांकि रुक्मणी के भाई ने तो उनका संबंध कहीं और ही कर दिया था. कृष्ण के प्रेम में दीवानी रुक्मणी ने अपने भाई से कह दिया था कि अगर उनका विवाह कृष्ण के अलावा किसी से भी करवाया गया तो वे अपने प्राण त्याग देंगी. इसके पहले तो कृष्ण, रुक्मणी को जानते भी नहीं थे. बावजूद इसके वो रुक्मणी से विवाह करने पहुंच गए थे. कृष्ण के इस कदम ने ये संदेह उत्पन्न किया कि राधा और रुक्मणी एक ही थीं. पौराणिक कथाओं में राधा को रुक्मणी का आध्यात्मिक अवतार भी माना गया है. ऐसे में हम यह कह सकते हैं कि भले ही राधा और कृष्ण का विवाह सीधे नहीं हुआ हो मगर हां दोनों सदैव एकसाथ ही रहे.
ये है राधा और कृष्ण का प्रेम – सच्चाई चाहे तो भी हो और राधा भले ही सीधे तौर पर कृष्ण की पत्नी नहीं बन पाई हों, मगर कृष्ण के साथ नाम तो राधा का ही जुड़ा है. बात चाहे प्रेम की हो या पूजा की लोग राधे कृष्ण ही कहते हैं.