कार्यस्थल राजनीति

अब ऑफिसों में बढ़ने लगा है ‘क्वीन बी सिंड्रोम’

क्वीन बी सिंड्रोम – बहुत पुरानी कहावत है कि एक औरत ही दूसरी औरत की दुश्‍मन होती है लेकिन एक रिसर्च में ये बात सच साबित हुई है। इस रिसर्च के मुताबिक ऑफिस में महिलाओं में क्वीन बी सिंड्रोम बहुत तेजी से बढ़ रहा है।

इस रिसर्च के अनुसार क्‍वीन बी एंप्‍लॉयी यानि की ऐसी महिलाएं जो अपने प्रोफेशन में टॉप पर पहुंचना चाहती हैं वो ऑफिस की दूसरी प्रभावशाली महिलाओं को टारगेट करने लगती हैं। अगर कोई महिला सीनियर पोजीशन पर पहुंच जाती है तो उसके साथ काम करने वाली बाकी महिलाएं उससे अशिष्‍ट व्‍यवहार करने लगती हैं।

अरिजोना यूनविर्सिटी के प्रोफेसर का कहना है कि पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं ने ज्‍यादा कटु अनुभव साझा किए लेकिन हम जानना चाहते थे कि महिलाओं के साथ अशिष्‍टता किस लिंग के लोग ज्‍यादा कर रहे हैं।

क्‍या हुआ रिसर्च में

इसी सवाल का जवाब जानने के लिए ये रिसर्च की गई। फुल टाइम जॉब करने वाले महिला-पुरुषों से सवाल किए गए कि आखिरी महीने में उनसे किस तरह का बुरा बर्ताव किया गया। उनसे उन सहकर्मियों के बारे में सवाल किए गए जिन्‍होंने उन्‍हें नीचा दिखाया, मीटिंग में इग्‍नोर किया या गलत तरीके या अनप्रोफेशनल ढंग से बात की। हर सवाल का दो बार जवाब लिया गया। एक बार मेल को-वर्कर के लिए दूसरी बार फीमेल को-वर्कर के लिए।

मिला ये परिणाम

शोधकर्ता का कहना है कि तीनों शोधों में उन्‍हें इस बात के पुख्‍ता सबूत मिले हैं कि महिलाओं ने महिलाओं की तरफ से गलत व्‍यवहार की शिकायत ज्‍यादा की। दूसरे शब्‍दों में आप ये भी कह सकते हैं कि महिलाएं दूसरी महिलाओं के प्रति ज्‍यादा रूड थीं बजाय पुरुषों के या पुरुष महिलाओं के प्रति। साथ ही उन्‍होंने ये भी कहा कि इसका मतलब ये नहीं है कि पुरुष इस तरह के काम में शामिल नहीं थे लेकिन जब दोनों के बीच तुलना की गई तो महिलाएं इस काम में आगे निकलीं।

इस रिसर्च में हिस्‍सा लेने वाले प्रतिभागियों से उनकी पर्सनैलिटी और व्‍यवहार के बारे में भी पूछा गया ताकि पता लगाया जा सके कि क्‍या महिलाओं के साथ ऐसा व्‍यवहार होने के पीछे कोई खास वजह है।

रिसर्च की मानें तो ऑफिस में जो महिलाएं जेंडर नॉर्म्‍स को ना मानते हुए दबंगई से और पॉवर से रहती हैं उन्‍हें उनकी महिला साथी ज्‍यादा टारगेट करती हैं। इसके अलावा इस शोध में यह भी सामने आया कि ऐसी ही स्थिति में पुरुषों के प्रति उनके साथी पुरुषों का ऐसा व्‍यवहार देखने को नहीं मिला।

ये रिसर्च ना केवल इंप्‍लॉयी की सेहत के लिहाज़ से बल्कि ऑफिस के मैनेजमेंट के हिसाब से भी महत्‍वपूर्ण है। इन तीनों शोधों से यह नतीजा निकलकर आया कि कंपनियों को महिला इंप्‍लॉयी खोने का खतरा ज्‍यादा रहता है। ऐसी महिला इंप्‍लॉयी जिसे दूसरी महिलाएं टारगेट करती हैं वो खराब अनुभव के चलते जॉब छोड़ने का मन बना लेती हैा।

ये है क्वीन बी सिंड्रोम – इस रिसर्च में एक और बात सामने आई है कि पुरुषों की जगह कंपनियां महिला कर्मचारियों पर ज्‍यादा भरोसा करती हैं। वो नहीं चाहती कि उनकी महिला इंप्‍लॉयीज़ जॉब छोड़कर जाएं। इसे ही वुमेन पॉवर कहा जा सकता है, वहीं महिला वर्कर्स ज्‍यादा मेहनती होती हैं।

Parul Rohtagi

Share
Published by
Parul Rohtagi

Recent Posts

इंडियन प्रीमियर लीग 2023 में आरसीबी के जीतने की संभावनाएं

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) दुनिया में सबसे लोकप्रिय टी20 क्रिकेट लीग में से एक है,…

3 months ago

छोटी सोच व पैरो की मोच कभी आगे बढ़ने नही देती।

दुनिया मे सबसे ताकतवर चीज है हमारी सोच ! हम अपनी लाइफ में जैसा सोचते…

3 years ago

Solar Eclipse- Surya Grahan 2020, सूर्य ग्रहण 2020- Youngisthan

सूर्य ग्रहण 2020- सूर्य ग्रहण कब है, सूर्य ग्रहण कब लगेगा, आज सूर्य ग्रहण कितने…

3 years ago

कोरोना के लॉक डाउन में क्या है शराबियों का हाल?

कोरोना महामारी के कारण देश के देश बर्बाद हो रही हैं, इंडस्ट्रीज ठप पड़ी हुई…

3 years ago

क्या कोरोना की वजह से घट जाएगी आपकी सैलरी

दुनियाभर के 200 देश आज कोरोना संकट से जूंझ रहे हैं, इस बिमारी का असर…

3 years ago

संजय गांधी की मौत के पीछे की सच्चाई जानकर पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक जाएगी आपकी…

वैसे तो गांधी परिवार पूरे विश्व मे प्रसिद्ध है और उस परिवार के हर सदस्य…

3 years ago