Categories: विशेष

महाराष्ट्र के विधायक चैनसुख संचेती की 10 खूबियाँ

सादगी किसे कहते हैं?

परिभाषित करना तो मुश्किल है, पर आज के दिखावे के दौर में अगर आप महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के विधायक चैनसुख संचेती से मिलें तो शायद आपको इसका जवाब मिल जाएगा.

लगातार पांचवी बार विधायक बने चैनसुख संचेती को जनता का, जनता के लिए और जनता के बीच का ही नेता माना जाता है. पेशे से किसान चैनसुख संचेती के परिवार ने अपना जीवन समाजसेवा में लगा दिया वो भी बिना किसी लालसा के.

आइये हम आपको मिलाते हैं चैनसुख संचेती की 10 खूबियों से, जो उन्हें आम आदमी के बीच ख़ास बनाती है.

1.  जनसंघ से शुरुआत:-

राजनीति आपके खून में ही होती है. संचेती के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. चैनसुख संचेती के पिता मदनलाल संचेती भी राजनीति से जुड़े थे. जनसंघ की स्थापना के वक़्त से ही संचेती परिवार जनसंघ से जुड़ा रहा. मदनलाल संचेती  1948 संघबंधी में एक साल से अधिक जेल में रहे. 1975 में आपातकाल के वक़्त चैनसुख के पिता मदनलाल और चाचा किशनलाल 19 महीने तक जेल में रहे. यही नहीं 1980 में भाजपा की स्थापना के बाद मलकापुर से किशनलाल संचेती पहले विधायक बने. जहाँ से आज चैनसुख संचेती लगातार 5 वीं बार विधायक हैं.

2.  संगठन का विकास:-

महाराष्ट्र विधानसभा के वरिष्ठ विधायकों में से एक चैनसुख संचेती ने मलकापुर में लगातार 5वीं बार अपनी जीत के झंडे गाड़े हैं. महाराष्ट्र में भाजपा का प्रसार किया. 2010 में जब चैनसुख संचेती महाराष्ट्र भाजपा में सदस्यता अभियान के प्रमुख बने तो सिर्फ एक साल में 33 लाख लोगों को भाजपा का सदस्य बनाया. किसान मोर्चा के सचिव होने के नाते भारत के कई प्रान्तों में काम किया. महाराष्ट्र भाजपा के अहम् पदों पर विराजमान रहे. पहले 14 साल तक महाराष्ट्र भाजपा के सचीव रहे. फिर 6 साल महामंत्री, उसके बाद 6 सालों तक उपाध्यक्ष के पद पर आसीन रहे और अभी भी महाराष्ट्र भाजपा के उपाध्यक्ष पद पर ही बने हैं.

3.  जनता से जुड़े नेता:-

चैनसुख संचेती हमेशा से ही जनता से जुड़े नेता रहे. उनकी समस्याओं को सुनकर उसे सुलझाने का हर संभव प्रयास करते हैं. मलकापुर की जनता उन्हें मिलनसार नेता के रूप में जानती है. और जनता से जुड़ने के लिए नए साधनों का प्रयोग करने से भी गुरेज नहीं करते. चाहे फिर वो सोशल मीडिया के जरिये ही क्यूँ ना हो? संचेती फेसबुक पर भी काफी एक्टिव हैं.

4.  स्वच्छ छवि:-

चैनसुख संचेती के दामन को कोई भी विवाद आज तक छू नहीं पाया. हांलांकि पार्टी के आन्दोलनों में शरीक होकर कई बार जेल भी गए. लेकिन संचेती की छवि हमेशा साफ़ सुथरी रही. जिसमे किसी भी प्रकार का ना कोई भ्रष्टाचार का आरोप था और ना ही कुछ और आरोप.

5.  राजनीति और ब्यूरोक्रेसी में पकड़:-

राजनीति में पकड़ तो उनके 5 बार विधायक बनने से ही दिखाई देती है. साथ ही एक अच्छे प्रशासक होने की वजह से अधिकारीयों के काम करने के तरीके की समझ है. जिससे उन्हें ब्यूरोक्रेट्स के साथ काम करने में बिलकुल दिक्कत नहीं होती. चैनसुख संचेती ने ऑर्गेनिक केमिस्ट्री में एम्एससी की है.शिक्षित होने के कारण भी उन्हें ब्यूरोक्रेट्स से संवाद स्थापित करने और उनके आइडियाज को समझने और उसमे फेर बदल करने में दिक्कत नहीं होती.

6.  नयी योजनाओं का उपयोग:-

जब भी केंद्र सरकार और राज्य सरकार कोई नयी योजनायें लाते हैं. तो बुलढाना जिले में उस पर अमल जरूर होता है. संचेती योजनाओं को समझकर उसको लागू जरूर करते हैं. चाहे वो आर्थिक योजनायें हो या फिर स्वास्थ्य सम्बंधित. योग दिवस के दिन संचेती ने अपने जिले में भी योग शिविर रखा.

7.  विकास को गति प्रदान करना:-

जी बिलकुल एक अच्छे नेता के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण. विकास को गति प्रदान करना. संचेती ने विकास को गति दिया. नरेन्द्र मोदी के विकास के विज़न को अपनाया. बुनियादी सुविधाएँ, कृषि, शिक्षा, रोजगार पर विशेष जोर दिया. ज्ञान-विज्ञान और कृषि ज्ञान घर-घर तक पहुंचना चाहिए यही इनका नारा है.

8.  भाषा को महत्व:-

मराठी, हिन्दी, उर्दू और अंग्रेजी भाषा में इनकी खासी पकड़ है. इनकी प्राथमिक शिक्षा मराठी माध्यम में हुई, और उच्च शिक्षा अंग्रेजी माध्यम में. हिन्दी भाषा में भी काफी अच्छी पकड़ है और एक अच्छे वक्ता हैं. हिन्दी और उर्दू भाषा के अच्छे शायर के तौर पर लोग इन्हें पसंद करते हैं, और यही नहीं ये मुशायरों में भी शरीक होते हैं. हिन्दी भाषी होते हुए भी सभी भाषाओं का सम्मान करते हैं.

9.  पहलवानी:-

तो इनके राजनीति के अलावा भी कई शौक हैं. संचेती पहलवानी भी करते हैं.  पहलवानों को राजनीति में कम ही शौक होता है. उत्तर प्रदेश से मुलायम सिंह यादव के बाद अगर कोई पहलवान राजनीति में आया है तो वो है संचेती. नागपुर विश्वविद्धयालय में 1977-78 में लॉ कॉलेज के मिस्टर यूनिवर्सिटी बने. छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए. अब तक 100 से अधिक व्यायामशालाएँ बनवाई. इनका कहना है की युवाओं के लिए हर गाँव में एक व्यायामशाला होनी चाहिए. ताकि वो काम के साथ साथ खुद को तंदरुस्त बनने की तरफ भी ध्यान दें. इन्होने नारा भी दिया “गाँव तिथे व्यायामशाला” जिसका हिन्दी अनुवाद है “जहाँ गाँव वहां व्यायामशाला”.

10.  श्रेष्ठ वक्ता:-

राजनीति की सबसे प्राइमरी जरूरत होती है अच्छा वक्ता होना. एक अच्छा वक्ता ही जनता के साथ आसानी से जुड़ सकता है. और संचेती एक अच्छे वक्ता हैं.1990 में संचेती भाजपा के राष्ट्रीय एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य रहे. उसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने देश भर के लिए 40 स्टार प्रचारकों की नियुक्ति की, जिसमे संचेती की भूमिका भी अग्रणी थी.

तो ये हैं महाराष्ट्र मलकापूर से भाजपा विधायक चैनसुख संचेती की खूबियाँ. राजनेताओं के बारे में नकारात्मक ख़बरें तो हमेशा ही पढने को मिलती रही हैं. पर हमारी तरफ से एक नयी शुरुआत करने का प्रयास है जहाँ हम अच्छे लोगो के अच्छे कामों की बात करें. वो कहते हैं न की बहुत ज्यादा नेगेटिव एनर्जी आपके आस पास के माहौल को ख़राब कर सकती है.

Neha Gupta

Share
Published by
Neha Gupta

Recent Posts

क्या मरने के बाद जब आत्मा स्वर्ग या नरक जाती है तो वह पल हमें याद रहते हैं?

सवाल बेहद पेचीदा है इस सवाल का जवाब वैज्ञानिक रूप से तो व्यक्ति को तभी…

5 years ago

कोरोना वायरस: क्या है कोरोना, कैसे फैलता है यह और कैसे कोरोना वायरस से बचना है, सब कुछ है इस एक आर्टिकल में

दुनिया भर के देश इस समय कोरोना वायरस के चलते दहशत में हैं. कोरोनावायरस से…

5 years ago

दिल्ली में दंगे हुए तो यह धर्म पूरी तरह से हो जायेगा खत्म, नहीं रहेगा इसका इतिहास में भी नाम

दिल्ली के अंदर कई सालों के बाद इस तरीके के दंगे भड़के कि जिनके अंदर…

5 years ago

दिल्ली हिंसा के दौरान ताहिर हुसैन आप के नेताओं से क्या बात कर रहा था, हकीकत आपको हैरान कर देगी

दिल्ली में हुए दंगों के अंदर जिस तरीके से आम आदमी पार्टी के नेता ताहिर…

5 years ago

फांसी से पहले निर्भया के दोषियों ने खाने में क्या माँगा है जरूर पढ़िए

निर्भया केस में फंसे हुए तीनों अपराधियों की फांसी 3 मार्च को सुबह-सुबह हो सकती…

5 years ago

निर्भया केस: पवन जल्लाद दोषियों को फांसी देने जेल आया, कल इतने बजे का समय हुआ पक्का 

निर्भया केस में दोषियों को फांसी देना अब 3 मार्च को पक्का नजर आ रहा…

5 years ago