खेल

पीवी सिंधू को मिला सिल्वर मेडल ! आप इस खबर को नहीं पढेंगे तो आप भारतीय नहीं हैं!

ओलंपिक में गोल्ड के लिए खेल रहीं, भारत की पुसरला वेंकटा सिंधू यानि पीवी सिंधू को कुछ समय पहले तक बस कुछ ही लोग जानते थे लेकिन आज भारत का बच्चा-बच्चा इस नाम से वाकिफ हो चुका है.

आज ओलंपिक में पीवी सिंधू ने भारत को सिल्वर मेडल दिलाया है.

जहाँ मैच के पहले हाफ में सिंधू विपक्षी खिलाड़ी मारिन को कड़ी टक्कर देती नजर आई थीं वहीँ दूसरे हाफ में सिंधू मारिन से डरी-डरी सी नजर आ रही थीं. वैसे सिंधू ने पहले सेट में जबरदस्त वापसी की थी.

5 पॉइंट से हार रहीं, सिंधू ने पहला सेट आश्चर्यजनक रूप से अपने नाम किया. वहीँ दूसरे सेट में मारिना ने शुरुआत से ही आक्रामक खेल दिखाया और सिंधू को संभलने का मौका ही नहीं दिया. तीसरे गेम की भी कुछ यही कहानी रही. लेकिन मैच ने इस सेट के मध्य में जरूर सिंधू एक बार वापसी करती दिख रही थीं किन्तु किस्मत शायद आज इनके साथ नहीं थी. सिंधू ने पहला सेट जहाँ 21-19 से जीता तो वहीँ दूसरा सेट 21-12 से सिंधू हार गयी. तीसरा मैच सिन्धु 21-15 से हार जाती हैं.

ज्ञात हो कि पुसरला वेंकटा सिंधू भारत की तरफ से ओलम्पिक में बैडमिन्टन के अन्दर, देश का प्रतिनिधित्व कर रही हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि पीवी सिंधू का यह पहला ओलंपिक है. इससे पहले खेल के जानकार सिंधू की प्रतिभा पर भी उँगलियाँ उठा रहे थे. कितने फर्क की बात है कि साक्षी मलिक के बाद पुसरला वेंकटा सिंधू ने भारत को सिल्वर मेडल दिलाया है.

एक अच्छा खेल हुआ –

आपने अगर यह मैच नहीं देखा है या फिर भारत की हार से निराश हैं तो आप एक बात याद रखें कि पीवी सिंधू ने वाकई एक अच्छा खेल आज विश्व के सामने पेश किया था. हार-जीत से अलग सिंधू ने लोगों का दिल जरूर जीत लिया है.

पिता हैं रेलवे कर्मचारी किन्तु

आपको एक रोचक जानकारी दें दे कि सिंधू के माता-पिता भी एक खिलाड़ी ही रह चुके हैं. दोनों कभी वोलीबाल के खिलाड़ी थे. खासकर पिता को तो अर्जुन अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है. खुद सिंधू मानती हैं कि पिता के बिना मेडल जीतना वाकई मुश्किल था. पिता ने बेटी की प्रैक्टिस कराने के लिए कुछ 8 माह की छुट्टियाँ तक ले रखी थीं. हर रोज घर से दूर बेटी को लेकर जाना और वहां घंटों बेटी की अभ्यास करते हुए देखना, यह पिता पीवी रमन्ना के लिए रोज का काम था.

पहले पिता बेटी को अभ्यास कराते हुए देखते थे और बाद में घर लौटते वक़्त बेटी को उसकी गलतियों से वाकिफ भी कराते थे. निश्चित रूप से आज जब बेटी सिल्वर जीत चुकी है तो इस देश में सबसे ज्यादा ख़ुशी इसी माँ-बाप को होगी, जिसकी बेटी ने विश्व में भारत का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा है.

आज देश रुक गया था

असल में ऐसा कभी क्रिकेट के दिनों में ही होता था जब किसी मैच के दौरान पूरा देश अपने घरं में टेलीविजन सेट के सामने बैठ जाता था. किन्तु आज जब भारत देश को मेडल के लिए दुआओं की जरूरत थी तो सारा देश पुसरला वेंकटा सिंधू के लिए दुआ करता नजर आ रहा था. दिनभर कहीं हवन हुआ तो कहीं सत्यनारायण की कथा हुई, इसका असल यह हुआ कि आज देश की बेटी सिल्वर के साथ घर वापस आने को तैयार है.

सिंधू की मेहनत किसी तपस्या से कम नहीं है.

पिछले तीन साल से पुसरला वेंकटा सिंधू ओलंपिक के लिए कठिन मेहनत कर रही थीं. कई मौकों पर कोच गोपीचंद जी ने इस बाद का खुलासा किया है. असल में यह मेहनत नहीं थी किन्तु यह तो एक तपस्या थी जिसका फल आज सिंधू को मिला है.

आज ओलम्पिक में सिल्वर अपने नामकर इन्होनें सिद्ध कर दिया है कि कठिन परिश्रम करके इंसान कुछ भी प्राप्त कर सकता है और इस जीवन में कुछ भी प्राप्त करना असंभव नहीं है.

Chandra Kant S

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Chandra Kant S

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