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छद्म नारीवाद :आपका सबसे बड़ा अपराध ये है कि आप एक पुरुष है

pseudo feminism

इन दोनों किस्सों से क्या समझ आता है? आजकल ये एक बहुत आम बात हो गयी है कि दो पल की प्रसिद्धि के लिए लोग तरह तरह के हथकंडे अपनाते है. नारी सम्मान और नारिवादिता के नाम पर उनका एकमात्र लक्ष्य विपरीत लिंग को लक्ष्य करके उसे गलत साबित करना ही रह गया है. इस प्रकार के लोग नारीवादी नहीं ये लोग तो बस छद्म नारीवाद की बढ़ावा देने वाले होते है. जो नारीवाद के नाम से अपना उल्लू सीधा करते है. और सबसे बुरी बात ये है कि इस प्रकार के मामलों में लोग कोर्ट कचहरी पुलिस कानून से पहले ही फैसला सुना देते है.

पिछले कुछ दिनों में प्रसिद्धि के लिए खुद को शिकार दिखाकर लोगों की सहानुभूति और ट्विटर पर फोलोवेर्स बटोरने का काम जोर शोर से चल रहा है. रोहतक बहनें,जसलीन कौर, यहाँ तक की आम आदमी पार्टी की विधायक भी इस तरह के काम कर चुकी है. देर सवेर सच का पता चल ही जाता है पर तब तक ये लोग प्रसिद्धि और सुर्खियाँ बटोर चुके होते है.

इन सब घटनों का सबसे बुरा असर होता है पुरुष और महिलाओं के बीच सम्बन्ध को. जहाँ हम लोग प्रयास कर रहे है कि दोनों समान रूप से एक दुसरे के पूरक बनकर रहे वहीँ इस प्रकार की घटनाएँ दोनों लिंगों के बीच की खायी को और बढ़ा देती है और आपसी घृणा पैदा करती है. इस वजह से बहुत बार ज़रूरतमंद की सहायता भी नहीं करते ये सोचकर कि कहीं ये भी कोई हथकंडा तो नहीं.

आप ही बताइए क्या आप किसी की मदद करेंगे जब आपके मन के किसी कोने में ये बात घर कर गयी हो कि कहीं शायद मदद करने पर आपका ही बुरा हो जाये….

प्रसिद्धि के लिए पागल चंद महिलाओं और पुरुषों की वजह से पूरा माहौल ख़राब हो रहा है. अब के कुछ किस्से देखने पर तो ये लगता है कि आप कुछ सही करें या गलत वो तो दूर आपको बिना कुछ किये भी बलात्कारी से लेकर वहशी दरिंदा तक सब बना दिया जा सकता है. सिर्फ सोशल मीडिया पर चार लाइन लिखकर.

gender equality

ये सब हथकंडे और ज्यादा फैले इससे पहले ही हमें इन पर रोकथाम लगानी चाहिए. इन सबको रोकने के लिए सबसे पहले हमें आँख बंद कर भरोसा करना बंद करना होगा और दोनों तरफ की कहानी जानने के बाद ही कुछ निर्णय लेना चाहिए. सोशल मीडिया और समाचारपत्र एवं समाचार चैनल की जिम्मेदारी ये है की वो खुद ही जज बनना बंद करे और कोर्ट,पुलिस के निर्णय से पहले ही किसी को भी जल्दबाजी में अपराधी घोषित ना करे. जसलीन कौर मामले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि कैसे एक पक्ष की बात सुनने पर हम कभी कभी गलत को भी सही मान  कर किसी को अपराधी घोषित करने में देर नहीं लगाते.

हमें एक ऐसे स्वस्थ समाज का निर्माण करना है जहाँ मर्द और औरत एक दुसरे के पूरक हो, ना कि ऐसा समाज जहाँ पर ये कहा जाये कि आपका सबसे बड़ा अपराध ये है कि आप एक पुरुष है

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