चलिए अब एक और किस्सा सुनिए
ये वही लड़की है जो उस दिन बारिश में मदद मांग रही थी, ये किस्सा उस दिन से कुछ रोज़ पहले का है एक लड़का रात को करीब 10 बजे थक हार कर अपने दफ्तर से आ रहा था. ट्रेन खचाखच भरी हुयी थी और किस्मत से उसे एक सीट मिल गयी. ये लड़की अगले स्टेशन पर ट्रेन में चढ़ी और लड़के को इस तरह देखा कि जैसे सीट पर बैठ कर उसने गुनाह कर दिया है. लड़की ने लड़के को सुनाते हुए कहा कि “एक लड़की कड़ी है और लड़के को देखो कैसे पसर कर बैठा है, इंडिया में तो लड़की की कोई इज्ज़त ही नहीं है ”
बेचारा लड़का ये सुनकर जवाब दे बैठा “मैडम अगर मैं बैठा हूँ तो इसमें गलत क्या है ? ये कोई आरक्षित सीट नहीं और मैं भी पूरे दिन काम करके थकाहारा हूँ ऐसे में सीट पर बैठना कोई गुनाह तो नहीं और आप भी स्वस्थ दिख रही है तो मुझे नहीं लगता कि आप आधा घंटा बैठेगी नहीं तो कुछ हो जायेगा, वैसे भी जब समानता की बात करती है तो उसे जीवन में भी तो उतारो सिर्फ कहने के लिए समानता की बात और अपने फायदे के लिए अबला नारी बन जाती हो ”
बस लड़के का ये कहना था कि लड़की तुनक पड़ी “मुझे लेक्चर देता है रुक अभी बताती हूँ तुझे ” ये कहकर उसने धडाधड तीन चार फोटो खिंची और उसके बाद लम्बे चौड़े निबंध लिख कर सोशल मीडिया पर डाल दी. ये है छद्म नारीवाद का उदहारण.
नतीजा लड़का रातोंरात खलनायक बन गया, किसी ने नहीं पपूछा कि असली बात है क्या? बस सबने उसे तरह तरह के विशेषणों से नवाज़ दिया. क्या सोशल मीडिया, क्या आम जनता और क्या समाचारपत्र और चैनल.
सब के सब उस लड़के के पीछे गए, जीना हराम हो गया उसका.