नीलकंठ धारी भगवान शिव तीनों लोकों के सृष्टिकर्ता हैं.
देश के साथ विदेश में भी हर – हर महादेव के नारे आपको सुनने को मिल जाएंगे.
क्या आपको पता है कि डमरूधारी शिव का अस्तित्व धरती पर है?
आइए हम आपको बताते हैं शिव के होने के सबूत – कुछ ऐसे सबूतों के बारें में जिससे आपको यकीन हो जाएगा कि भोले शंकर का अस्तित्व धरती पर है-
शिव के होने के सबूत –
देश के 12 विभिन्न स्थानों पर स्थित शिव के 12 ज्योतिर्लिंग उनके साक्षात धरती पर होने का सबूत हैं. ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव शंकर के वजूद का सबसे बड़ा प्रमाण यह ज्योतिर्लिंग ही हैं. वेदों में जो हजारों सालों पहले लिखे गये हैं उनके अन्दर भी ज्योतिर्लिंग का जिक्र आता है.
सावन महीने की शुरुआत में ही अमरनाथ में भगवान शिव का बर्फ से शिवलिंग बनना कोई आम बात नहीं है. सावन माह भगवान शिव की भक्ति के लिए जाना जाता है. ऐसे में हर साल इसी माह में बर्फीला शिवलिंग बनना उनके होने की गवाही देता है.
योगिक विज्ञान में भगवान शिव को रूद्र कहा जाता है. रूद्राक्ष माला में भगवान शिव के मंत्रों का जाप करने से पल भर में सभी काम बन जाते हैं और उनके होने का आभास भी होता है.
इसे ॐ पर्वत भी कहा जाता है, क्योंकि पर्वत का आकार व इस पर जो बर्फ जमी हुई है वह ओउम आकार की छटा बिखेरती है तथा ओउम का प्रतिबिंब दिखाई देता है. पर्वत पर ॐ अक्षर प्राकृतिक रूप से उभरा है. ज्यादा हिमपात होने पर प्राकृतिक रूप से उभरा यह ॐ अक्षर चमकता हुआ स्पष्ट दिखाई देता है.
कुछ दिनों पहले कैलाश पर्वत पर भगवान शिव की छाया को बनते हुए स्पष्ट रूप से देखा गया. यह फोटो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई थी. इसके सामने आने के बाद भगवान शिव के वजूद को लोगों ने मानना शुरू कर दिया था.
शास्त्रों और पुराणों में असाध्य रोगों से मुक्ति और अकाल मृत्यु से बचने के लिए महामृत्युंजय जप करने का विशेष उल्लेख मिलता है. महामृत्युंजय भगवान शिव को खुश करने का मंत्र है. इसके प्रभाव से इंसान मौत के मुंह में जाते-जाते बच जाता है, मरणासन्न रोगी भी महाकाल शिव की अद्भुत कृपा से जीवन पा लेता है. बीमारी, दुर्घटना, अनिष्ट ग्रहों के प्रभावों से दूर करने, मौत को टालने और आयु बढ़ाने के लिए सवा लाख महामृत्युंजय मंत्र जप करने का विधान है.
7. खुद से बढ़ रहा है शिवलिंग का आकार
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में घने वन के मध्य एक शिवलिंग प्राकृतिक रूप से निर्मित है, जिसे भूतेश्वर नाथ के नाम से जाना जाता है. इसे संसार का सबसे बड़ा शिवलिंग मानते हैं. प्रत्येक वर्ष इस शिवलिंग का आकार बढ़ जाता है, जो श्रद्धालुओं के लिए आज भी रहस्य बना हुआ है.
राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित धौलपुर जिले में भगवान अचलेश्वर महादेव का मन्दिर है. इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है यहां स्थितशिवलिंग जो कि दिन मे तीन बार रंग बदलता है. सुबह में शिवलिंग का रंग लाल रहता है, दोपहर को केसरिया रंग का हो जाता है, और जैसे-जैसे शाम होती है शिवलिंग का रंग सांवला हो जाता है.
त्रेतायुग में जब-जब श्रीराम ने हनुमानजी को गले से लगाया, तब-तब भगवान शंकर अति प्रसन्न हुए हैं. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक श्रीहनुमानजी सतयुग में शिवरूप में थे और शिव तो अजर-अमर हैं. हनुमानजी के जीवित होने के प्रमाण समय-समय पर प्राप्त होते रहे हैं, जो इस बात को प्रमाणित करता है कि हनुमानजी आज भी जीवित हैं. इससे साबित होता है कि भगवान शिव भी हैं जो उनके अवतार माने जाते हैं.
ये है शिव के होने के सबूत – तो इस प्रकार आपके सामने है शिव के होने के सबूत – यह बातें साबित करती हैं आज भी धरती पर शिव विराजमान हैं और शिव का वजूद है बेशक आप मानें या ना मानें.
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