इंगलिश न आने की वजह से – वैसे तो भारत की मातृभाषा हिंदी है लेकिन अंग्रेजी भाषा ने भारतीयों के दिलों-दिमाग पर हिंदी से ज्यादा कब्जा किया हुआ है।
अब तो किसी व्यक्ति को इंगलिश बोलने के ही आधार पर मापा जाता है। जिस व्यक्ति की अंग्रेजी अच्छी है वो शिक्षित हो गया और जिसकी इंगलिश कमज़ारे हुई उसे गवार कह कर तिरस्कृत किया जाता है।
इंगलिश के विरोध में भले ही कितने मोर्चे निकलें हों लेकिन आज भी भारत में इसी भाषा से चुटकियों में हर काम आसान हो जाता है वहीं जिन्हें इंगलिश बोलनी नहीं आती वो बेचारे तरह-तरह की परेशानियों से रूबरू होते हैं।
तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि इंगलिश न आने की वजह से लोगों को किस तरह की परेशानियां और बेइज्जती सहनी पड़ती है -:
इंगलिश न आने की वजह से –
1 – कॉलेज में बिगड़ता है इंप्रेशन
अभी हाल ही में पेटीएम के सीईओ विजय शेखर ने बताया था कि उन्हें इंगलिश न आने की वजह से कॉलेज के दिनों में फर्स्ट बैंच से लास्ट बैंच पर जाकर बैठना पड़ा था। कुछ इसी तरह की परेशानियां हर उस इंसान हो आती हैं जिसे इंगलिश में बात करना नहीं आता। कॉलेज में तो ये कमी बेइज्जती और जिल्लत का कारण बन जाती है। जब कॉलेज में सब इंगलिश में बात करते हैं तो आप खुद को बहुत अकेला और कम आंकने लगते हैं। ऐसे में हर किसी के आत्मविश्वास में कमी आती है।
2 – इंटरव्यू पर असर
मैंने खुद कई बार कैंडिडेट्स को इंगलिश न आने की वजह से रिजेक्ट होते देखा है। कोई तो इतना जरूरतमंद होता है कि जॉब पाने के लिए रिक्रूटर से मिन्नतें भी करने लगता है लेकिन रिक्रूटर बेचारे इंगलिश से ज्यादा प्यार होने की वजह से उनकी कोई मदद नहीं कर पाते। इंगलिश न आने की वजह से डिग्री होने के बावजूद भी लोगों को अच्छी नौकरी नहीं मिल पाती है।
3 – सोशल लाइफ पर पड़ता है असर
प्रोफेशन के साथ-साथ इंगलिश न आने का असर आपकी पर्सनल लाइफ पर भी पड़ता है। आज के समय में इंगलिश आना आपको दूसरों से ऊंचा बनाता है। आपको फर्राटेदार इंगलिश बोलते देख आपके आसपास के लोग आपसे प्रभावित होते हैं जबकि जिन लोगों को इंगलिश नहीं आती है उनका मज़ाक उड़ाया जाता है। सोशल मीडिया जैसे प्लेटफॉर्म पर भी ज्यादातर लोग इंगलिश में ही बात करते हैं जो कभी-कभी मुसीबत का सबब बन जाता है।
4 – करियर
ज़ाहिर सी बात है अगर आपकी इंगलिश स्पीकिंग अच्छी नहीं होगी तो आपको अच्छी नौकरी नहीं मिलेगी, नौकरी नहीं मिलेगी तो आपका करियर बरबाद हो जाएगा। अब तो छोटी से छोटी कंपनी में भी रिेसेप्शनिस्ट की जॉब तक के लिए इंगलिश बोलने वाले कैंडिडेट की मांग होती है।
इस तरह से इंगलिश न आने की वजह से ये मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है – भारत में इंगलिश भाषा से हद से ज्यादा प्यार होने की वजह से उन लोगों का भविष्य बरबाद हो रहा है जिन्हें इंगलिश स्पीकिंग में दिक्कत आती है। मोदी जी ने भी कई बार अपनी मातृभाषा हिंदी में बात करने को महत्व दिया है लेकिन ये प्रयास इतनी बड़ी और भयंकर समस्या के आगे अधना सा है। भारत में हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए और भी कई सार्थक प्रयास किए जाने चाहिए।
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