उत्तर प्रदेश की सियासी सरगरमी में इन दिनों दो महिलाएं काफी चर्चा है.
इसलिए नहीं कि ये दोनों दो राजनीति दल के परिवार से आती है बल्कि इसलिए कि इन्होंने जिस काम को अंजाम दिया है उसकी बहुत कम लोगों को जानकारी के साथ उम्मीद भी नहीं थी.
ये दोनों महिलाएं कोई और नहीं बल्कि एक तो राहुल गांधी की बहन प्रिंयका गांधी है तो दूसरी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव.
बताया जाता है कि जो मामला कांग्रेस और सपा में बडे़ बड़े दिग्गज तय नहीं कर पा रहे थे उसका इन दोनों ने आपस में बैठकर आसानी से हल निकाल लिया.
जी हां उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के चुनावी गठबंधन के पीछे इन्हीं दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका बताई जाती है.
गौरतलब हो कि कुछ दिन पहले जब समाजवादी पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जाहिर की तो कांग्रेस नेताओं में राहुल गांधी की लीडरशीप को ले कर बातें होने लगी. पूछा जाने लगा कि गंठबंधन की बात के बीच में ये सब क्या हो रहा है. लेकिन उस वक्त बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी थी कि इतना सब होने के बावजूद प्रियंका गांधी और डिंपल यादव के बीच आपसी संपर्क बना हुआ था.
ये दोनों तमाम चर्चाओं से दूर सपा और कांग्रेस के चुनावी गंठबंधन को अंजाम तक पहुँचाने के लिए पर्दे के पीछे से सक्रिय थी. इसी का परिणाम है कि आज दोनों दल एक मंच पर है.
वहीं राहुल गांधी और प्रिंयका गांधी ने अखिलेश और उनकी पत्नी के साथ जो केमेस्ट्री बना रहे थे उससे दोनों ही दल के दिग्गज दूर थे.
उनको इस बातचीत में जानबूझकर शामिल नहीं किया गया था. गौरतलब है कि ऐसी ही जिद्द कांग्रेस के नेताओं ने पश्चिम बंगाल में की थी. तभी ममता बनर्जी से बात नहीं पट पाई. कांग्रेस को मजबूरी में लेफ्ट से समझौता करना पड़ा.
लेकिन कांग्रेस ने इस बार दिमाग से काम लिया. उसने राजनीति के दिग्गजों को इस बाचचीत से दूर कर प्रियंका गांधी को वार्ता के लिए आगे कर दिया.
जानकारों का मानना है कि प्रशांत किशोर ने राहुल गांधी को बता दिया था कि दो अंक में भी अपने अकेले के बूते सीटे संभव नहीं है. इसलिए जैसे भी हो एलायंस करें.
लेकिन बंगाल की तरह गुलाम नबी आजाद, प्रमोद तिवारी आदि इसके लिए तैयार नहीं थे. उन्होंने राहुल गांधी के दिमाग में यह बात पैठा दी कि हर जिले में एक सीट पर कांग्रेस लड़े. और राहुल गांधी इस थीसिस के झांसे में आ गए.
लेकिन इसी बीच अखिलेश ने भी मौके को भांपते हुए कांग्रेस का साथ लेना उचित समझा. इसके लिए बातचीत के लिए उसने पत्नी डिंपल को कमान सौंप दी.
तो वहीं राहुल गांधी ने भी किसी कांग्रेसी नेता पर विश्वास करने के बजाए अपनी बहन प्रियंका को आगे कर दिया.
नतीजा सामने है सपा और कांग्रेस का चुनावी गंठबंधन हो चुका है और इसकी इबारत लिखी है प्रियंका गांधी और डिंपल यादव ने.
उत्तर प्रदेश की सियासी सरगरमी में इन दिनों प्रियंका गांधी और डिंपल यादव की काफी चर्चा है.
इसलिए नहीं कि ये दोनों दो राजनीति दल के परिवार से आती है बल्कि इसलिए कि इन्होंने जिस काम को अंजाम दिया है उसकी बहुत कम लोगों को जानकारी के साथ उम्मीद भी नहीं थी.
ये दोनों महिलाएं कोई और नहीं बल्कि एक तो राहुल गांधी की बहन प्रिंयका गांधी है तो दूसरी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव.
बताया जाता है कि जो मामला कांग्रेस और सपा में बडे़ बड़े दिग्गज तय नहीं कर पा रहे थे उसका इन दोनों ने आपस में बैठकर आसानी से हल निकाल लिया.
जी हां उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के चुनावी गठबंधन के पीछे इन्हीं दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका बताई जाती है.
कुछ दिन पहले जब समाजवादी पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जाहिर की तो कांग्रेस नेताओं में राहुल गांधी की लीडरशीप को ले कर बातें होने लगी. पूछा जाने लगा कि गंठबंधन की बात के बीच में ये सब क्या हो रहा है.
लेकिन उस वक्त बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी थी कि इतना सब होने के बावजूद प्रियंका गांधी और डिंपल यादव के बीच आपसी संपर्क बना हुआ था.
ये दोनों तमाम चर्चाओं से दूर सपा और कांग्रेस के चुनावी गंठबंधन को अंजाम तक पहुँचाने के लिए पर्दे के पीछे से सक्रिय थी. इसी का परिणाम है कि आज दोनों दल एक मंच पर है.
वहीं राहुल गांधी और प्रिंयका गांधी ने अखिलेश और उनकी पत्नी के साथ जो केमेस्ट्री बना रहे थे उससे दोनों ही दल के दिग्गज दूर थे.
उनको इस बातचीत में जानबूझकर शामिल नहीं किया गया था. गौरतलब है कि ऐसी ही जिद्द कांग्रेस के नेताओं ने पश्चिम बंगाल में की थी. तभी ममता बनर्जी से बात नहीं पट पाई. कांग्रेस को मजबूरी में लेफ्ट से समझौता करना पड़ा. लेकिन कांग्रेस ने इस बार दिमाग से काम लिया. उसने राजनीति के दिग्गजों को इस बाचचीत से दूर कर प्रियंका गांधी को वार्ता के लिए आगे कर दिया.
जानकारों का मानना है कि प्रशांत किशोर ने राहुल गांधी को बता दिया था कि दो अंक में भी अपने अकेले के बूते सीटे संभव नहीं है. इसलिए जैसे भी हो एलायंस करें.
लेकिन बंगाल की तरह गुलाम नबी आजाद, प्रमोद तिवारी आदि इसके लिए तैयार नहीं थे. उन्होंने राहुल गांधी के दिमाग में यह बात पैठा दी कि हर जिले में एक सीट पर कांग्रेस लड़े और राहुल गांधी इस थीसिस के झांसे में आ गए.
लेकिन इसी बीच अखिलेश ने भी मौके को भांपते हुए कांग्रेस का साथ लेना उचित समझा. इसके लिए बातचीत के लिए उसने पत्नी डिंपल को कमान सौंप दी.
तो वहीं राहुल गांधी ने भी किसी कांग्रेसी नेता पर विश्वास करने के बजाए अपनी बहन प्रियंका को आगे कर दिया.
नतीजा सामने है सपा और कांग्रेस का चुनावी गंठबंधन हो चुका है और इसकी इबारत लिखी है प्रियंका गांधी और डिंपल यादव ने.