प्रीतिलता वद्देदार – वैसे तो हमारे देश को स्वतंत्र कराने में हजारों-लाखों लोगों ने कुरबानियां दी थी, लेकिन ये बिडम्बना ही है कि इतिहास के पन्नों में उन लोगों को जगह नहीं मिली. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी क्रांतिकारी लड़की की कहानी सुनाने जा रहे है जिसने सबसे कम उम्र में अपनी जान अपने देश के खातिर न्यौछावर कर दी थी.
आज से करीब 85 साल पहले 1932 में महज 21 साल की उम्र में एक लड़की ने अंग्रेजी हुकूमत से लड़ते हुए जान दे दी थी उनका नाम था प्रीतिलता वद्देदार.
प्रीतिलता वद्देदार का जन्म बंगाल के चिटगांव में एक ब्राह्मण परिवार में साल 1911 हुआ था.
वे बचपन से ही पढ़ाई में काफी तेज थी. 1930 में उन्होंने फिलॉसफी से ग्रेजुएशन किया था. अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद प्रीतिलता वद्देदार ने चिटगांव के ही एक लोकल इंग्लिश मीडियम स्कूल में हेडमिस्ट्रेस की नौकरी कर ली. लेकिन उनके मन में तो अपने देश की आज़ादी के लिए कुछ करने का जुनून सवार था और उनके कान में तो हमेशा झाँसी की रानी के किस्से गूंजते थे.
इसी दौरान वे 1932 के आसपास मास्टर सूर्यसेन से मिली. उस समय सूर्यसेन क्रांति के पर्याय बन चुके थे और ब्रिटिश सेना से उनके शास्त्र लूटने के उनके किस्से लोगों की जुबान पर थे.
सूर्य सेन से मिलने के बाद वे उनके आन्दोलन में सक्रीय हो गई, हालाँकि महिला होने की वजह से लोगों ने उनका विरोध भी किया. लेकिन उनके मन में तो देश भक्ति उमड़ रही थी. इस तरह वे क्रांतिकारी दल की सदस्य बन गई. उन्होंने क्रांतिकारी दल के साथ मिलकर कई कारनामे किये जैसे टेलीग्राफ ऑफिस हमला, रिज़र्व पुलिस लाइन में कब्ज़ा जैसे कामों में वे सबसे आगे रही.
जलालाबाद के क्रांतिकारी हमले के दौरान उन्होंने खुद विस्फोटक पहुँचाने की जिम्मेदारी ली थी.
यूरोपियन क्लब पर हमले के लिए प्रीतिलता वद्देदार को जिम्मेदारी दी गई.
हमले के लिए 23 सितंबर 1932 का दिन चुना गया, हमले के लिए चुने गए सभी क्रांतिकारियों को पोटैशियम साइनाइड दिया गया ताकि कोई भी जिंदा गिरफ्तार नहीं हो. प्रीतिलता ने हमले के लिए पंजाबी मर्द की वेशभूषा धारण की. 23 सितंबर को इन लोगों ने सुबह 11 बजे क्लब पर हमला बोल दिया. हमले के वक्त क्लब में 40 अंग्रेज अफसर और पुलिसवाले मौजूद थे. आग की वजह से पुलिस वालों ने फायरिंग शुरू कर दी और एक गोली प्रीतिलता को लगी, पुलिस ने उन्हें घेर लिया.
लेकिन प्रीतिलता वद्देदार ने एक पल सोचे बिना बेझिझक होकर साइनाइड का कैप्सूल निगल लिया और पुलिस को उनकी लाश मिली. इस तरह मात्र 21 साल की लड़की ने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी.
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