खाद्य पदार्थ और दूसरी चीजे मंहगी हो गई है!
१ जून से सर्विस टैक्स में बढ़ोत्री हुई है. जिससे कई चीजे मंहगी हो गई है.
धीरे धीरे सरकार अच्छे दिन हवाला देते हुए जनता की कमर पर मंहगाई और टैक्स की लाठी चलाने लगी है.
जिसका सीधा असर पर्यटन और बाहर खाने पीने वाले ग्राहकों पर पड़ेगा.
कितना बढ़ा सर्विस टैक्स?
पहले सर्विस टैक्स 12.36 फीसदी था.
अब 14 फीसदी सर्विस टैक्स देना होगा.
किस पर लागु हुआ सर्विस टैक्स?
होटल, रेस्टोरेंट, गाड़ियां, मूवी टिकट की ऑनलाइन बुकिंग, मैरिज वेन्यू, केबल सर्विस, रेल और हवाई यात्रा समेत कई सेवाएं महंगी हो गई है.
पर्यटन और खाद्य पदार्थ पर होता है कई इनडायरेक्ट टैक्स:-
लोग छुट्टियाँ मनाने एक शहर से दुसरे शहर/राज्य में जाते है. विदेशी भी घुमने और किसी काम के बहाने कई दिनों तक वक़्त बिताते है. ऐसे ग्राहक अक्सर अपने बजट को देखते हुए होटल, रिसोर्ट, बंगलो जैसे कमरे एवं घर किराए पर लेते है. इस किराए में केवल रेंट पर दिए वस्तु का बिल नहीं होता. कई अन्य टैक्स मिलाकर यह बिल बनता है.
सर्विस टैक्स जैसे :- रूम रेंट, रेस्टोरेंट सर्विस, कनवेंशन सर्विस, कैब सर्विस, ड्राय क्लीन सर्विस, हेल्थ क्लब सर्विस. इन्टरनेट सर्विस इत्यादि.
यह सारे सर्विस टैक्स होटलों में रहने वाले ग्राहकों पर लागू होता है. जो लोग केवल खाना खाने के लिए बाहर जाते है, उनको भी ऐसे इनडायरेक्ट टैक्स भरकर अपनी जेब ढीली करनी पड़ती है.
रेस्टोरेंट हो या ढाबा यहा खाना खाने वाले कई प्रकार के ग्राहक होते है. छात्र, सरकारी एवं निजी ऑफिस कर्मचारी, शिक्षक, पोलिस, पत्रकार और यात्री यह सारे लोगों खाने पीने के लिए नास्ते से लेकर खाना कई बार बाहर खाते है. लेकिन रेस्टोरेंट, ढाबा जैसे जगह पर उनका अलग सर्विस टैक्स लगाते है. एसी और वेटर का चार्ज वो अपने ग्राहकों से वसूलते है.
कौन सा तिगुना सर्विस टैक्स ?
अगर आप अपने एक दो दोस्तों / सहकर्मी / परिजन या किसी डेट पर किसी रेस्टोरेंट में मिल रहे हो, तब यह बहुत लाजमी है की कोई ठीक ठाक खाने पीने की जगह ही होगी।
ऐसे वक़्त में ठंडा, स्टार्टर, मैन कोर्स जैसे तरीके से खाना हो, तो रु.१००० हो ही जाता है.
विक्री कर राज्य के हिसाब से अलग होता है. बात करेंगे महाराष्ट्र की.
पदार्थ बिल – १०००
सरकारी सर्विस टैक्स – १२०
वैट – १६०
रेस्टोरेंट अपना सर्विस टैक्स – ५४
कूल सर्विस टैक्स – १३३४
सर्विस टैक्स लागू हो चूका है.
इस लिए खाद्य पदार्थो पर रोजाना तीन गुना ज्यादा पैसे देने पड़ते है. एक तो पहले से ही हर चीज के दाम आसमान छूने लगे है. ऊपर से सब्जी और अनाज के भी भाव कोई सामान्य नहीं है. अच्छे दिन की राह में मंहगाई मोटी हो रही है.
मगर यह सरकार को ज्ञात हो की मूलभूत जरूरते अगर जनता को नहीं मिलेंगी तो इसका सीधा परिणाम उनकी कुर्सी पर होगा.