राजनीति

इन सियासी कुनबों में छिड़ी है विरासत को लेकर जंग

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी में इस समय कलह मची हुई है.

यह पार्टी के झगड़े से अधिक पारिवार का झगड़ा है. जहां राजनीतिक विरासत को लेकर परिवार के लोग आपस में उलझे हुए हैं. देश में यादव परिवार जैसे कई अन्य सियासी परिवार और भी है जहां सियासी कुनबों में विरासत को लेकर जंग छिड़ी है।

सियासी कुनबों में विरासत को लेकर जंग –

1 – पटेल परिवार 

उत्तर प्रदेश का ही एक अन्य सियासी परिवार है पटेल परिवार. कुर्मी नेता और अपना दल पार्टी के संस्थापक सोनेलाल पटेल के वर्ष 2009 में निधन के बाद से मां-बेटी के बीच राजनीतिक विरासत को लेकर जंग चल रही है. इस जंग में मां कृष्णा पटेल के साथ उनकी बड़ी बेटी पल्लवी पटेल और पार्टी के अन्य सांसद कुवंर हरिवंश सिंह है.तो दूसरी ओर अनप्रिया पटेल अकेले ही पार्टी पर अपना दावा ठोकर रही है. केंद्रीय राज्य मंत्री अनुप्रिया को उनकी मां ने पार्टी महासचिव पद से हटा कर बड़ी बेटी पल्लवी पटेल को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया.जिसके बाद परिवार में वर्चस्व की लड़ाई और तेज हो गयी.

2 – शरद पंवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी  

महाराष्ट्र में शरद पंवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में भी विरासत को लेकर चचेरे भाई-बहन अजीत पंवार और सुप्रिया सुले में रस्साकस्सी चल रही है. वर्ष 2009 में कांग्रेस ने जब अशोक चव्हाण को मुख्यमंत्री बनाया था तो शरद पवार ने भतीजे अजित की उपेक्षा करते हुए उप-मुख्यमंत्री की उम्मीदवारी के लिए एनसीपी की ओर से छगन भुजबल का नाम चुना.अजीत समझ गए और इसके विरोध में उन्होंने ने विधायकों के समर्थन से अपनी ताकत दिखाई और शरद पवार को अपनी उम्मीदवारी के लिए राजी कर लिया, लेकिन उसके बाद में शरद पंवार ने बेटी को सांसद बनवाकर उसको आगे कर दिया।

3 – मुलायम सिंह और समाजवादी पार्टी  

मुलायम सिंह और समाजवादी पार्टी में भी पार्टी पर नियंत्रण को लेकर घमासान मचा हुआ है. यहां चाचा और भतीजे द्वारा भाई और पिता की राजनीति विरासत पर जीते जी दावेदारी ठोंकी जा रही है.पारिवार में कलह की नींव उस समय ही पड़ गई थी जब मुलायम सिंह ने अपने भाई की दावेदारी को दरकिनार कर अपने बेटे अखिलेश को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनवा दिया था.

4 – ठाकरे परिवार

मुंबई में दशको तक राज करने वाले बाल ठाकरे ने जब शिव सेना की कमान अपने भतीजे राज ठाकरे को न सौंपकर अपने बेटे उद्धव ठाकरे को सौंपी तो परिवार में दरार आ गई. नाराज राज ठाकरे ने शिव सेना प्रमुख बाल ठाकरे के घर मातोश्री और पार्टी को छोड़ दिया और बाहर आ गए. राज ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बना कर अपने चाचा को सियासी चुनौती दे दी. बाल ठाकरे की मृत्यु के बाद दोनों भाईयों में आज भी मनमुटाव है.

5 – करुणानिधि का परिवार

इसी प्रकार का सियासी ड्रामा दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में भी चल रहा है. वहां पांच बार मुख्यमंत्री रहे द्रविड़ मुनेत्र कणगम( डीएमके) के 92 साल के मुथुवेल करुणानिधि के परिवार में भी राजनीति विरासत को लेकर खींचतान चल रही है. करुणानिधि अपने पार्टी की बागडोर अपने छोटे बेटे स्टालिन को सौंप दी. जबकि उनकी बेटी कनिमोझी और दूसरे बेटे एम के अलागिरी भी राजनीतिक विरासत के दावेदारों में से हैं. एम के अलागिरी ने अपने पिता के निर्णय के खिलाफ बगावत कर दी.

देश ये सियासी कुनबों में विरासत को लेकर जंग छिड़ी हुई है. ऐसा लगता है जैसे राजनीती भी एक बहुत बड़ा बिजनेस बन गया है और इस बिजनेस को हथियाने और चलाने के पैंतरे चल रहे है.

बहराल, सियासी महाभारत के इस खेल में हकीकत भी वास्तविक महाभारत से अलहदा नहीं है। मुलायम परिवार हो या ठाकरे परिवार निर्णय हमेंशा से ही पुत्र के पक्ष में हुआ है। समाजवादी पार्टी और मुलायम सिंह यादव परिवार के मामले में ऊपर से देखने में भले ही कुछ अलग नजर आ रहा हो लेकिन सियासी ऊंट बैठना उसी करवट है जहां वह आज तक बैठता आया है।

Vivek Tyagi

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