जब कोई व्यक्ति किसी उच्च पद पर होता है तो उसमें कुछ ना कुछ तो ऐसी बात होती है, जो उसे दूसरों से अलग करती है।
और उसी अलग बात की वजह से वह इस पद तक पहुंचता भी है।
तो चलिए जानते है इस कहानी के जरिये कि कैसे आपके गुण आपको किसी ऊँचे पद तक पहुँचाते है।
एक बार बाजीराव पेशवा अपनी सेना के साथ किसी युद्ध में विजयी होकर वापस अपनी राजधानी पुणे लौट रहे थे। तब रास्ते में उन लोगों ने थकान की वजह से पड़ाव डाला। ये लोग काफी दिन से चल रहे थे, इसलिए भूख-प्यास से सभी बेहाल थे। खाने की पर्याप्त सामग्री भी इनके पास नहीं थी। यह देखकर बाजीराव ने अपने एक सरदार को बुलाकर कहा कि आसपास के किसी खेत से फसल काटकर यहाँ लाये ताकि उन लोगों की भूख का इंतजाम किया जा सके।
सरदार अपने सैनिकों की एक तुकड़ी लेकर पास के गाँव में जा पहुँचा और वहां एक किसान को सबसे बड़े खेत में ले जाने के लिए कहा।
किसान को लगा कि यह कोई अधिकारी है, जो खेतों का निरिक्षण करने के लिए आया है, उस बड़े खेत पर पहुँचते ही सरदार ने सैनिकों को फसल काटने का आदेश दिया।
यह सुनते ही किसान को झटका लगा, उसने हाथ जोड़कर कहा महाराज आप इस खेत की फसल ना काटे। मैं आपको दूसरे खेत पर ले चलता हूँ, सरदार अपने सैनिकों के साथ किसान के साथ दूसरे खेत पर चल पड़ा। किसान उन लोगों को कुछ मिल दूर ले गया और वहां पर एक छोटे से खेत की और संकेत करके कहा आपको जितनी फसल चाहिए यहाँ से काट लीजिये।
सरदार ने उस छोटे खेत को देखकर गुस्से से कहा ये खेत तो बहुत ही छोटा है। फिर तुम हमें इतनी दूर क्यों लेकर आये। तब किसान ने बड़ी विनम्रता से कहा वह खेत किसी दूसरे का था, मैं अपने सामने उसका खेत कैसे कटते देखता। यह खेत मेरा है इसलिए आपको यहाँ पर लाया हूँ। किसान की बातें सुनकर सरदार का गुस्सा ठंडा हो गया और उसने फसल काटने से रोक दी और सारी बात बाजीराव को बताई।
तब बाजीराव ने अपनी गलती मानते हुए किसान को उसकी फसल के बदले पर्याप्त धन दिया और उसकी फसल भी कटवाई। किसान की विनम्रता ने उसके सामने इतने बड़े शासक को भी झुकने पर मजबूर कर दिया।
इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि विनम्रता आपको बड़े पद का अधिकारी बनती है।
अगर आप विनम्र है तो एक ना एक दिन आप किसी बड़े पद या सम्मान के अधिकारी बनेंगे।