कुत्ते को श्रद्धांजलि – कुत्तों के बारे में अकसर कहा जाता है कि वो सबसे वफादार होते हैं।
इसलिए कलयुगी दुनिया में लोग इंसान से ज्यादा कुत्तों पर भरोसा करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि कुत्तों को भी राजकीय सम्मान दिया जाता है। अगर नहीं सुना तो सुन लीजिए। कुत्तों को न केवल राजकीय सम्मान दिया जाता है बल्कि उन्हें सलामी भी दी जाती है। हम आज एक ऐसी ही कुत्ते की वीरता की कहानी आपको बता रहे हैं जिसे उसके कार्यों के कारण राजकीय सम्मान दिया गया।
फिल्म ‘जंजीर’ का एक्शन देखने के बाद इस कुत्ते को जंजीर नाम से पुकारा गया।
इस कुत्ते ने अपने समय में देश के नागरिकों की सुरक्षा की। यह एक ऐसा सिपाही है जो न होता तो 1993 के सीरियल बम बलास्ट में मरने वालों की संख्या कई गुणा और बढ़ जाती।
अगर यह बहादुर कुत्ता न होता तो तीन और जगहों पर सीरियल बलास्ट होता और हजारों जाने जाती लेकिन इस जंजीर ने मुम्बई के कई कोनों में पड़े आरडीएक्स और बमों को ढ़ूंढ़ लिया। इसने 3329 किलो आरडीएक्स, 600 जेटरनेट, 249 हैंड ग्रेनेड और लगभग छः हजार से भी अधिक कारतूस को ढ़ूंढ़ निकला।
बम निरोधी दस्ता का यह कुत्ता कोई आम स्निफ्फर कुत्ता नहीं था बल्कि यह जंजीर अपने ग्रुप में सबसे ताकतवर कुत्ता था। सीआइडी के डॉग ट्रेनिंग सेंटर में ही इसने साबित कर दिया था कि वह हीरो है जो सबसे अलग है। उसने कई बार ऐसे अवैध और गैरकानूनी सामान ढ़ंढ़ने में पुलिस की मदद की है। वह अपने काम में एक्सपर्ट था।
हड्डियों में कैंसर होने के कारण उसकी मृत्यु हो गई जिसके बाद उसे पूरे राजकीय सम्मान के साथ दफनाया गया। पुलिस अधिकारियों ने इस कुत्ते को श्रद्धांजलि देते हुए उसे सलामी दी और फूल अर्पित किए।
जंजीर का देश के प्रति वफादारी और कार्यों को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उसने वो काम किया जो दर देशभक्तों को करना चाहिए। यही कारण है कि जंजीर की पुण्यतिथि हर साल मनाया जाता है। ऐसे देश के वीरों को हमारा सलाम। जय हिन्द।