LPG की बढती हुई जरुरतो को देखते हुए, सरकार ने खाद्य गैस पर सब्सिडी पुर्णतः लागू कर दी.
यह ज्ञात हो की सब्सिडी, गरीब और अमीर जनता को समान है.
किंतु आसमान छूती हुयी महंगाई को देखते हुए, सरकार सब्सिडी का भार कम कर देश की अर्थव्यवस्था से दबाव हटाने की कोशिश में है.
IOCL के मुताबिक, ‘एलपीजी सबसे ज्यादा सब्सिडाइज्ड कमोडिटी है. इस वजह से साल 2013-14 में कुल खर्च 40 हजार करोड़ तक पहुंच गया.
आखिर कार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद अपील करते हुए कहा कि, जो सब्सिडी का भार उठा सकते है वे सब्सिडी लेना छोड़ दे.
यह पीएम की अपील को सर आंखो पर रखते हुए काफी राज्यों ने बाजी मारी है. सब्सिडी छोड़ने की इस होड़ में कॉर्पोरेट्स और आर्धिक राजधानी का राज्य महाराष्ट्र पर यह अपील बेअसर नज़र आती है.
राज्य विस्तार और आर्थिक स्थिति देखते हुए, महाराष्ट्र तीसरे क्रम पर आया है.
अब तक 32,136 लोगों ने सब्सिडी छोड़ी है. इस में भी अगर कॉर्पोरेट्स लोगों की बात करे तो 25 लाख एलपीजी कनेक्शन में केवल 9,000 लोगों ने ही सब्सिडी छोड़ने का फैसला किया है.
यूपी की आर्थिक स्थिति को देखते हुए, यहा की जनता ने काफी सराहनीय कदम पीएम कि अपील पर उठाये है. जिससे यह साबित होता है की बिजनेस हब शहरों के दिल बड़े छोटे है.
युपी में 1,29,404 लोगों ने छोड़ी सब्सिडी.
बिजनेस हब शहरों की जब हम बात करते है तब दिल्ली का नाम मुंबई शहर के आगे पीछे आ ही जाता है. कन्जयूमर्स में गृहणी, शिक्षक, किसान और उद्यमी शामिल हैं, जिन्हों ने सब्सिडी छोड़ने का निर्णय लेते हुए अपने परिजनों को भी अपील की है. दिल्ली की जनता ने भी अपना दिल दिखाते हुए दूसरे नम्बर पर है.
दिल्ली में 66,698 लोगों ने छोड़ा है सब्सिडी.
सब्सिडी छोड़ने के इस होड़ में अन्य राज्य जैसे की तमिलनाडु और केरल आगे आ रहे है. फिर भी आंकड़ो को देखते हुए स्थिती चिंताजनक ही है. अब देखना यह है अगर बड़े व्यापारी, हाय पेमेन्ट और सत्ताधारी इस सब्सिडी को छोड़ते है तो १०० करोड़ से अधिक बचत निश्चित है.
जानिये सब्सिडी
15.3 करोड़ देश भर के कुल एलपीजी कनेक्शन है.
200 से 225 तक की सब्सिडी प्रत्येक सिलेंडर पर मिलती है. 12 सिलेंडर हर साल में मिलते हैं.
देश भर में अब तक 4,31,141 लोगों ने छोड़ा है सब्सिडी.
पीएम ने सबसे अपील तो कर रहे है और उनकी इस अपील को देश कि जनता बहुत ही धीमी गति से साथ दे रही है. मगर क्या वे अपने नेताओं से भी यह अपील कर रहे है? और अगर अपील कर भी रहे है तो क्या वो नहीं सुन रहे।
यह बता दू की २०१२ में LPG का अधिकतर इस्तेमाल नेता ही करते है, इस जानकारी ने देश को हिला कर रख दिया था. एलपीजी ट्रांसपेरेंसी पोर्टल कि जानकारी से साल 185 एलपीजी सिलेंडरों का इस्तेमाल यह नेतागण करते है. जबकी आम जन को १० से १४ एलपीजी सिलेंडर लगते है.
अब पीएम इन नेताओं से क्या अपील करेंगे ? अधिक इस्तेमाल पर कितना शुल्क लगाते है, और क्या वाकई में वसूल कर पायेगे? यह सच में बड़ा सवाल है. क्योंकि आंकड़े बता रहे है की जनता से कम नेताओं से देश LPG नुकसान में अधिक है.