उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री मोदी – कोई कुछ भी कहे. लेकिन एक बात तो तय है कि उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री मोदी के नाम की हवा भी बह रही है.
यह हवा भले ही लोकसभा चुनावों की तरह तेज न बह रही हो लेकिन उस का रूख अभी मोदी के खिलाफ भी नहीं है.
प्रधानमंत्री के नवंबर में नोटबंदी की घोषणा के बाद जिस प्रकार लोग कतारों में परेशान हो रहे थे उसको देखते हुए शुरूआत में ऐसा लग रहा था कि प्रधानमंत्री मोदी का यह कदम कहीं आगामी चुनावों में कहीं उनके विरूद्ध नहीं चला जाए.
लेकिन बुंदेलखण्ड से लेकर पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यदि लोगों का मन टटोलने की कोशिश करे तों एक बात जो निकलकर सामने आती है वह यह कि लोग अभी भी मोदी से नाउम्मीद नहीं है.
उनको लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र ही वह शख्स हैं जो जात पात से उठकर देश के बारे में सोच रहे हैं. मोदी को लेकर सबसे अधिक क्रेज जो देखा जा रहा है वह युवा वर्ग में हैं. आपको बता दें कि कई स्थानों पर यह युवा मतदाता अपने परिजनों का मन बदलने का काम भी काम रहा है. कुछ तो अपने परिजनों की राय के विपरीत जाकर जाति को किनारे कर मोदी को वोट देने की बात कह रहे हैं.
कई लोग जो भाजपा के प्रत्याशी से नाराज हैं वे भी अपनी नाराजगी के बावजूद भाजपा को वोट देने की बात कर रह हैं. इसी प्रकार पश्चिमी उत्तर प्रदेश का जाट मतदाता प्रधानमंत्री से जाट आरक्षण के समय से नाराज है.
लेकिन वहीं जाटों के बीच एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा भी जो नरेंद्र मोदी के पक्ष में हैं. वो आरक्षण जैसे मुद्दे को दरकिनार कर मोदी में ही संभावनाए तलाश रहा है.
वहीं एक ओर सबसे बड़ी बात यह है कि गांवों में जहां अक्सर भाजपा का जनाधार बहुत ही कम था वह नरेंद्र मोदी के आने के बाद बढ़ा है. अब गांवों में भी मोदी के कारण भाजपा का काडर तैयार हो रहा है. गौर करने वाली बात है कि यह सभी मतदाता युवा वर्ग के ही है.
आपको बता दें कि राजनीति के अपराधीकरण और भ्रष्टाचार के कारण पिछले काफी समय से युवाओं ने चुनावों से अपनी दूरी बना ली थी लेकिन नरेंद्र मोदी के आने के बाद युवाओं का रूझान एक बार फिर राजनीति की ओर हुआ है और वह मतदान में बढ़चढ़ कर भाग लेने लगा है.
इसके अलावा एक ओर बदलाव जो बता रहा है कि इस बार उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री मोदी हवा के कारण भाजपा को लाभ मिल सकता है वह यह है कि ओबीसी मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग भाजपा की ओर रूख कर सकता है.
गौरतलब है कि यह मतदाता वर्ग अभी तक भाजपा का मतदाता नहीं माना जाता था.
यह चुनावों में एक बड़े बदलाव का संकेत है.
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