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प्रधानमंत्री के वाॅर रूम में जाने का मतलब है…

सुपर सीक्रेट वॉर रूम

जैसे ही यह खबर बाहर आई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई घंटे साउथ ब्लॉक में स्थित रक्षा मंत्रालय के सुपर सीक्रेट वॉर रूम में बिताए हैं, पाकिस्तान सहित दुनिया भर में हलचलें एकाकए तेज हो गई है.

इस खबर के मीडिया में आने के बाद पाकिस्तान में हड़कम्प मचा हुआ है. इस सूचना के बाद से पाकिस्तानी वायु सेना के लड़ाकू विमान लगातार हवा में ही मंडरा रहे हैं.

लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुपर सीक्रेट वॉर रूम में जाने से ऐसा क्या हो गया कि पाकिस्तान को अपने लड़ाकू विमान कुछ अंतराल के बाद बार बार उड़ाने पड़ रहे हैं.

आइए हम आपको बतातें हैं कि किसी भी देश के प्रधानमंत्री या प्रमुख का वाॅर रूम में जाने का मतलब क्या होता है.

मिलिट्री ऑपरेशन डारेक्टोरेट रक्षा मंत्रालय का एक बेहद खुफिया दफ्तर है। यह दफ्तर ही सुपर सीक्रेट वॉर रूम के तौर पर जाना जाता है. दरअसल, सुपर सीक्रेट वॉर रूम एक कंमाड सेंटर होता हैं, जहां से युद्ध के समय सेना को नियंत्रित किया जाता है. आपको यह भी बता दें कि अगर युद्ध के हालात न भी हो तो उस दौरान भी यह वाॅर रूम सक्रिय होता है.

इस कंमाड में पल पल देश और दुनिया से खुफियां जानकारियां पहुंचती रहती है. यही नहीं, सेना को कब किस मोर्चे पर किस चीज की आवश्यकता है, यह कंमाड रूम उस पर न केवल 24 घंटे नजर रखता है बल्कि बिना समय गवांए निर्णय भी करता है.

अगर देश पर एक साथ दो देश मिलकर हमला कर दे तो उस स्थिति में सेना कैसे जवाब देगी उसकी तैयारियों का खाका भी वाॅर रूम में हर समय तैयार रहता है.

वाॅर रूम में प्रधानमंत्री मोदी को हर एंगल से दिखाया और समझाया गया कि कैसे हमला करना है और दुश्मन जवाब में अगर किसी घातक अस्त्र का उपयोग करता है तो उसके जवाब में हमारी और से किस प्रकार हमला किया जाएगा. क्योंकि देश पर हमले के दौरान कब क्या निर्णय लेना हैं इसको लेने का अधिकार प्रधानमंत्री और उनकी कैबिनेट रक्षा समिति के पास होता है. लेकिन उसे कब और कैसे लेना है इसको गुप्त रखा जाता है.

इसलिए कमांड रूम में सेना प्रमुखों और प्रधानमत्री. रक्षामंत्री और रा प्रमुख के अलावा केवल उस व्यक्ति को आने की अनुमति है जिसको प्रधानमंत्री और सेना प्रमुख अनुमति दे. रक्षामंत्री भी बिना प्रधानमंत्री की जानकारी के वहां नहीं जाते हैं.

क्योंकि जब सेना कोई अभियान या हमला करती है तो उस दौरान सूचना हासिल कर उसे गोपनीय रखने के साथ अग्रिम मोर्चे पर पहुंचाना और उस पर बिना समय गवांए निर्णय लेना सबसे महत्वपूर्ण होता है.

आमतौर पर देखा गया है कि किसी देश का प्रमुख इस कमांड रूम में बहुत ही कम आता है. वह उस स्थिति में ही यहां आता है, जब सेना कोई बड़ा या महत्वपूर्ण ऑपरेशन करने जा रही हो. उस समय देश के सामने क्या क्या चुनौतियों पेश आ सकती है और उस स्थिति में सेना किस प्रकार जवाबी कार्रवाई करेगी.

उड़ी हमले के बाद 20 सितम्बर को देर रात तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वॉर रूम में रहे.

उस समय प्रधानमंत्री के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और भारत के तीनों सेना प्रमुख मौजूद थे. ये वॉर रूम रक्षा मंत्रालय की बिल्डिंग में स्थित है. यहीं से सेना देश की सुरक्षा से जुड़ी हलचल पर नजर रखी जाती है.

युद्ध की स्थिति में यही जगह सेना कंट्रोल रूम की तरह काम करती है.