बिजनौर में प्रधानमंत्री के साथ एक ऐसा हादसा होते होते बचा जो अगर हो जाता तो एक बार फिर उन पर गुजरात दंगों की तरह तोहमत मढ़ दी जाती.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में एक चुनावी सभा को संबोधित करके जैसे ही गए उसके कुछ देर बाद वहां सांप्रदायिक हत्या हो गई.
चूंकि चुनाव का समय है और जिले में काफी फोर्स थी जिसके कारण इस मामले को पुलिस ने समय रहते काबू कर लिया. नहीं तो प्रधानमंत्री मोदी के साथ भी कुछ वैसा ही तमगा लग जाता है जैसा कि 1990 में उस समय के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव पर लगा था.
अक्टूबर 1990 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने बिजनौर में जनसभा की थी. जनसभा करके जैसे ही मुलायम सिंह यादव का हेलिकॉप्टर लखनऊ के लिए उड़ा उसके कुछ देर बाद शहर में दंगे शुरू हो गए.
उस समय इन दंगों के लिए मुलायम सिंह यादव के भाषण को जिम्मेंदार माना गया था.
ठीक कुछ ऐसा ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भी हो सकता था, क्योंकि बिजनौर में प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा था कि सपा सरकार ने भाजपा के लोगों को जानबूझकर झूठे मामलों में जेलों में डाल रखा है.
जैसे ही भाजपा की सरकार बनेगी इन सबका हिसाब लिया जाएगा.
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री जो बातें कह रहे थे उनका संकेत उस नयागांव और पेदागांव की ओर जहां कुछ माह पहले सांप्रदायिक हिंसा में 8 मुस्लिमों की हत्या हो गई थी और इन हत्यों के आरोप में बिजनौर शहर से भाजपा प्रत्याशी का पति भी जेल में बंद है.
जैसे ही सभा ख़त्म होने के बिजनौर में प्रधानमंत्री के हेलिकॉप्टर ने उड़ान भरी वैसे ही दंगों का बदला लेने की फिराक में बैठे लोगों ने नयागांव के रहने वाले बाप बेटों पर हमला कर दिया. जिसमें 18 वर्षीय बेटे की मौत हो गई जबकि बाप अभी भी जख्मी हालत में अस्पताल में भरती है.
बताया जाता है कि हमलावरों ने बदला लेने के लिए जो टाइमिंग चुनी वह बहुत ही खतरनाक थी.
यदि उस वक्त पुलिस मुस्तैद न होती तो हालात बिगड़ सकते थे. क्योंकि यदि दूसरे पक्ष की ओर से बदले की कार्रवाई होती तो शहर ही नहीं पूरा जिला भी दंगों की चपेट में आ सकता था.
उस स्थिति में सारा दोष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर मढ़ दिया जाता. कहा जाता कि वे जाते जाते हिसाब चुकता कर गए. चुनाव परिणाम आने और सरकार बनने का भी इंतजार नहीं किया. कहा जाता कि चुनाव जीतने के लिए नरेंद्र मोदी ने चुनाव से ऐन पहले उत्तर प्रदेश में गुजरात वाला खेल खेल दिया.
गौरतलब है कि बिजनौर की सदर सीट पर जब सितंबर 2014 में उप चुनाव हुआ तो मतदान से पहले शहर में सिमी के आतंकियों से बम बनाते समय धमाका हो गया था. बाद में सिमी के ये आतंकी भोपाल जेल से फरार होने के बाद पुलिस के साथ एक एनकाउंटर में मारे गए थे.
बहराल, उस समय भी अल्पसंख्यकों में यह अफवाह उड़ी थी कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने चुनाव जीतने के लिए ये धमाका करवाया है. यह चुनाव जीतने का अमित शाह का गुजरात स्टाइल है.
ठीक ऐसी ही अफवाह इस बार भी उड़नी थी, क्योंकि नयागांव में सांप्रदायिक हत्या के अगले दिन पहले चरण का मतदान होना था.
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